शेखर की रिपोर्ट
क्या आप भी जिंदगी की हर पल को अपने स्मार्टफोन के कैमरे में कैद करने की आदी है क्या सेल्फी खींचने से आपको लगता है कि हां आपके पास भी खुद को व्यक्त करने की कोई ताकत है तो जरा संभल जाएं क्योंकि अमरीकन साइकेट्रिक एसोसिएशन के मुताबिक अगर आप 3 से ज्यादा सेल्फी 1 दिन में लेते हैं तो यकीनन आप मानसिक रूप से बीमार है
युवा वर्ग में आजकल सेल्फी लेने का बहुत ही ज्यादा क्रेज़ हो गया है सेल्फी एक महामारी की तरह फैल चुकी है और हर कोई सेल्फी लेने में व्यस्त है चाहे वह नए कपड़े पहनने कैसे बाल कटवाए जिम में वर्कआउट किया क्या खाया क्या किया यह देखा सबके सेल्फी इंस्टाग्राम फेसबुक और ट्विटर सहित अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट पर आपको मिल जाएगा सेल्फी ना केवल अपनों को परेशानी देती है बल्कि सेल्फी लेने वाले महिलाओं को मोटा भी कर रही है आज कल सबसे ज्यादा जिस जगह मिली जाती है वह जिम खुद को फिट तो फिट दिखने की दूसरे लोगों पर भी तक सुन्दर रखने का दबाव डालती है ऐसा खास तौर पर महिलाओं के साथ ज्यादा होता है उसमें आई महिला खुद को पतला करने के लिए खतरनाक स्तर तक डाइटिंग तक करने लगती है
अमरीकन साइकेट्रिक एसोसिएशन ने सेल्फी लेने की बीमारी को सेल सिटी का नाम दिया है जिसके मुताबिक व बीमारी एक ऐसी लत है जिसमें व्यक्ति पागलपन की हद तक अपनी फोटो लेने लगता है और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है ऐसा करने से धीरे-धीरे उसका आतम विश्वास खत्म हो जाता है उसकी निजता पूरी तरह से भंग हो जाती है और वह एंजायटी का शिकार इस कदर हो जाता है कि आत्महत्या करने तक की सोचने लगता है औरतों में ज्यादातर खुद को दूसरों से सुंदर दिखने के लिए सेल्फी बहुत ज्यादा यूज करती है ऐसा नहीं है कि केवल किशोर और युवा ही सेल्फी खींचने में व्यस्त हैं विरोध साबित कर चुके हैं कि महिला सेल की सबसे ज्यादा लेती है असल में वह अपने कपड़ों बालों आई नो यहां तक कि एक पल की भी सेल्फी के जरिए वह क्या करती है यह बात जानना चाहती है कि आखिर इस जंगल से खूबसूरत लग रही है वैसे मनोविज्ञानी भी मानते हैं कि महिला का सेल्फी खींचने का एक सकारात्मक प्रभाव भी उनके ऊपर पड़ता है जब सेल्फी खींचती है तो उनमें एक तरह से भीतर ही भीतर सहनशक्ति करण का भाव जागृत होता है उन्हें लगता है कि उनका खुद पर पूरी तरह नियंत्रण है उन्हें लगता है कि जब दूसरा फोटो खींचता है तो वह अपने एंगल के मुताबिक फोटो लेता है