विकास कुमार की रिपोर्ट
लुधियाना : लॉकडाउन खुलने के बाद भी बाहरी राज्यों के श्रमिकों की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। लोगों की दिक्कतों के रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। काफी संख्या में श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाए जाने के बाद अभी भी कई कामगार और उनका परिवार परेशानी का सामना कर रहे हैं। गुरु नानक स्टेडियम के बाहर संतोषी देवी दो बच्चों के साथ पांच दिनों से आरा, बिहार जाने के लिए ट्रेन के इंतजार में बैठी है। इसके पति सास की तबीयत खराब होने के कारण बिहार के आरा स्थित सरईयां गांव गए थे, लेकिन अब वापस नहीं आ पा रहे हैं। पति यहां राज मिस्त्री का काम करते थे। यहां बेटा नौकरी करता था, लेकिन जुकाम होने पर धागा मिल से निकाल दिया गया।
उसकी बेटी भी धागा मिल में काम करती थी । काम पर जाते वक्त रास्ते में उसके साथ स्नेचिंग की घटना हो गई। इसके बाद उसने मिल मैनेजमेंट से साधन की सुविधा मांगी, तो उसे घर बैठने के लिए बोल दिया गया। अब न तो उसके पास खाने के पैसे हैं और न ही टिकट के पैसे। रूम से भी किराया न होने के कारण खाली करने के लिए मकान मालिक ने बोल दिया। वापस गांव जाने के अलावा अब मजबूर संतोषी देवी के पास कोई रास्ता नहीं बचा है।
जुकाम होने नौकरी से निकाला
संतोषी के बेटे विष्णु ने बताया कि मैं भामिया से ताजपुर रोड स्थित धागा मिल में काम करने जाता था। रोजाना तीन किलोमीटर पैदल चलकर काम पर जाना पड़ता था । काम पर जाने के दौरान मुझे जुकाम हो गई। इसके बाद से ही मुझे बोल दिया कि अब मत आना ।
स्नेचिग के बाद बेटी की नौकरी भी गई
संतोषी की बेटी नेहा ने बताया कि वह ताजपुर रोड स्थित धागा मिल में काम करती थी । एक दिन काम पर जाने के दौरान रास्ते में दो बाइक सवार आए और स्नेचिग का प्रयास किया। इसके बाद मैने काम पर जाने के लिए मिल मैनेजमेंट से साधन की सुविधा मांगी, तो उसे बोल दिया गया कि आप घर पर ही बैठें। काम पर आने की जरूरत नहीं है ।
रजिस्ट्रेशन कराया पर मैसेज नहीं आया
संतोषी देवी ने बताया कि वह भामिया में रूम पर किराए पर रहती थी, लेकिन किराए के लिए पैसे न होने के कारण रूम खाली करने के लिए मकान मालिक ने बोल दिया । फिर ट्रेन के रजिस्ट्रेशन के लिए गुरु नानक स्टेडियम आ गई। पांच दिनों से स्टेडियम के बाहर ट्रेन के इंतजार में बैठी हूं। रजिस्ट्रेशन भी करवाया, लेकिन अभी तक कोई मैसेज नहीं आया ।