विशाल भगत की रिपोर्ट
लुधियाना। केंद्र सरकार ने कृषि विधेयक लाकर पूरे देश को धोखे में रखा है और हमारे किसानों को धोखे में रखा। जिसके लिए पूरा देश इन्हें कभी माफ नहीं करेगा। किसान जब गेंहू मंडी में बेचता है तो उसका भाव 1200 से 1500 रुपए तक उसे मिलता है। अगर, फसल अच्छी हुई तो और अधिक रेट लगेगा तथा अगर थोड़ी बहुत कमी रही तो रेट में कम ही फर्क पड़ेगा व यह बहुत ही पुरानी एमएसपी हमारे पंजाब में चली आ रही थी। जिससे हमारा किसान खुशहाली तरफ बढ़ रहा था। परन्तु जब से मोदी सरकार आई है तब से देश के अंबानी व अडानी जैसे पूंजीपतियों को देश के हित बेचने में लगी हुई है और हमारा गरीबी दावे वाला किसान जिसको अन्नदाता कहा जाता है की मेहनत की कमाई पर भी इनकी नजऱें गढ़ गई हैं। हमारे पंजाब का किसान जोकि पूरे देश का पेट भर रहा है, आज केन्द्र की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो रहा है। अगर, किसान के हक की एमएसपी भी छीन ली गई तो हम क्या करेंगे। ऐसी कई बाते हैं जिन्हें लेकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे हैं। लेकिन, हम एक बात स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम किसी भी सूरत में इन बिलों को लागू नहीं होने देंगे तथा किसानों के लिए हर स्तर पर जाकर संघर्ष को तैयार हैं। यह बात पंजाब युथ डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमैन सुखविंदर बिंद्रा ने अपने कार्यालय में कहा कि केन्द्र का कहना है कि इन बिलों के आने से एमएसपी खत्म नहीं होगी, बहुत ही हास्यपद है। क्योंकि, इन्होंने संवैधानिक तौर पर तो एमएसपी खत्म कर दी है। अगर ऐसा न होता तो जब हाउस में बिल पास किया तो उसमें एमएसपी का जिक्र नहीं था। जिसके चलते आज किसानों व उनके हक के लिए कांग्रेस को सडक़ों पर उतरना पड़ा है। सुखविंदर बिंद्रा ने कहा कि जब भी कोई बिल लाया जाता है तो कैबिनेट में लाने से पहले वह पढऩे को मिलता है व सबकमेटी बनती है, जोकि उस पर स्टडी करती है। इसके बाद कैबिनेट में चर्चा होती है कि इसके क्या फायदे होंगे और क्या हानियां। लेकिन इन बिलों को लाते समय ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। अकाली दल बादल पर निशाना साधते हुए श्री टंडन ने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार ने जब पहली बार इन बिलों को कैबिनेट में रखा था तो उस समय किसानों के हितों का ध्यान करते हुए बीबी हरसिमरत कौर बादल ने त्यागपत्र क्यों नहीं दिया था। सच तो यह है कि पंजाब के हित अकालियों ने भाजपा के पास बेच दिए हैं और अब जबकि इन बिलों का विरोध शहर एवं गांव स्तर पर जोरशोर से होने लगा तथा लोगों ने बिल के हिमायतियों को गांवों में न घुसने के बोर्ड लगा दिए तो अकाली दल को किसानों की याद आने लगी है। ऐसे में हरसिमरत कौर बादल द्वारा दिया गया त्यागपत्र महज़ एक राजनीतिक स्टंट है। लेकिन कांग्रेस पार्टी पहले दिन से साफ कर चुकी है कि इन बिलों को पंजाब में किसी भी सूरत में लागू नहीं होने दिया जाएगा तथा इसके लिए किसी भी स्तर पर संघर्ष करना पड़े वे किसानों के साथ हैं।जिला कोऑर्डिनेटर नितिन टंडन ने कहा कि अगर, किसान जब अपनी फसल बेचकर पैसा कमाता है उसे वह मार्किट में अलग-अलग जगहों पर खर्च करता है तथा वह पैसा बहुत सारे कारोबारियों के लिए संजीवनी का काम करता है तथा इससे पंजाब मजबूत होता है और व्यापार मजबूत होता है। परन्तु इन बिलों से किसानों के हितों का हानि होगी और यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। केन्द्र की मोदी सरकार लारों से देशवासियों खासकर किसानों का पेट भरने की बातें करती हैं। आज लोगों ने दुखी होकर पंजाब बंद की कॉल दी है। हरियाणा एवं दिल्ली में ही नहीं बल्कि पूरे देश का किसान सडक़ों पर हैं। बादल गांव में लोग बादल की कोठी के समक्ष धरना लगाकर बैठे हैं, जो इस बात को सिद्ध करता है कि लोग अब इनकी सच्चाई जान चुके हैं। अब लोगों का विरोध देखकर खुद को सच्चा साबित करने के लिए अकाली दल मगरमच्छ के आंसू बहा रहा है।
श्री अरोड़ा ने कहा कि मोदी सरकार के तानाशाह रवैये से आज हर वर्ग एवं समुदाय का इंसान दुखी है। क्योंकि, किसी को पता ही नहीं होता कि सुबह क्या हो जाए। इसलिए पंजाब की कांग्रेस सरकार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में यह साफ कर चुकी है कि हम किसानों के साथ हैं और इन बिलों को किसी भी सूरत में लागू नहीं होने दिया जाएगा।