सुरेन्द्र प्रसाद की रिपोर्ट
लुधियाना, रात के समय खाना या दवा मिले न मिले, मगर दारू का इंतजाम रातभर रहता है। राज्य में लगे कर्फ्यू के बीच शाम 6.30 बजे सभी दुकानों को बंद करने के आदेश हैं। नए सरकारी आदेश में शराब के ठेकों को भी शाम 6.30 बजे बंद करने के आदेश है। मगर उसके बावजूद शराब के ठेकों के बाहर देर रात तक पियकड़ों का मेला लगा रहता है। सब देखते हुए भी पुलिस खामौश है। शराब के ठेकों के बाहर का माहौल देख कर लगता ही नहीं है कि शहर में कर्फ्यू लगा हुआ है।
उद्योगिक नगरी होने के कारण शहर में दूसरे राज्यों के व्यापारी व कारोबारियां का आना जाना लगा रहता है। रात के समय होटलों में उनके लिए खाने की व्यवस्था हो न हो, मगर शराब किसी भी समय उपलब्ध कराई जा सकती है। शराब ठेकों के शटर दिखावे के लिए शाम 6.30 बजे गिरा दिए जाते है। मगर शटर के बीच रखी छोटी विंडो में से शराब की सप्लाई निर्विघ्न चलती रहती है। जिसे लेकर शहर के दुकानदारों के भी खासा रोष है। उनका आरोप है कि शराब ठेकों को पुलिस व प्रशासन की ओर से खुली छूट दी गई है।
फिरोजपुर रोड स्थित आरती चौक में शराब का ठेका बंद था। मगर शटर में मोरी (सुराख) में से लगातार शराब की विक्री चल रही थी। ठेके के बाहर दर्जन भर लोग बैठे और खड़े थे। जमालपुर इलाके में स्थित ठेके के बाहर भी लोगों का जमघट लगा हुआ था। इसके अलावा समराला चौक, बस्ती जोधेवाल, जसवंत नगर, जांलधर बाइपास, रेलवे स्टेशन, विश्वकर्मा चौक, गिल चौक, डाबा, शिमला पुरी, दुगरी, पखोवाल रोड, राजपुरा रोड, हैबोवाल तथा दोमोरिया पुल इलाकों में भी यही हाल था।
कोरोना वायरस से बचाव को लेकर सरकार द्वारा आए दिन किए जा रहे एक्सपेरीमेंटस को लेकर सोशल मीडिया पर उसकी खासी फजीहत हो रही है। आम कारोबार पर लगाम कसने तथा शराब के ठेकों पर सरकार की निगाहे करम को लेकर लोग पोस्टें बना कर मजाक उड़ा रहे हैं। उनका कहना है कि शादी में 30 और भोग में 20 से ज्यादा लोग आ जाएं तो कोरोना आ जाता है। मगर शराब के ठेकों व अहातों में कितने भी लोग चले जाएं, वहां कोरोना नहीं आता। कर्फ्यू केवल शहर वासियों के लिए है, शराब पीने वालों के लिए कोई कर्फ्यू नहीं है। अपने राजस्व के लिए सरकार लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही है।