विशाल भगत की रिपोर्ट
जालंधर में 25 करोड़ के गोल्ड किट्टी स्कैम के आरोपी ओएलएस विज प्राइवेट लिमिटेड के मालिक रणजीत सिंह और गगनदीप सिंह ने बुधवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। दोनों ने कहा कि लोगों को गलतफहमी हुई है। उन्होंने कोई ठगी नहीं की है। उधर, सरेंडर के साथ ही थाना डिवीजन नंबर 7 की पुलिस रिमांड लेने पहुंच गई। इसकी पुष्टि करते हुए एसीपी मॉडल टाउन हरिंदर सिंह ने बताया कि उन्हें रिमांड में लिया जा रहा है, ताकि पूछताछ की जा सके।दरअसल, पुलिस को मिली शिकायतों के मुताबिक महानगर के पीपीआर मॉल में ओएलएस विज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का दफ्तर चल रहा था। यह कंपनी किट्टी के रूप में लोगों से सोने वगैरह में निवेश करवाती थी। इसमें इसमें 11 महीने लोगों को पैसे देने होते थे और 12वें महीने की किस्त कंपनी देती थी। इसके बाद 13 महीने लोगों को सोना दे दिया जाता था। लॉकडाउन में जब लोगों ने कंपनी को पैसे देने बंद कर दिए और उल्टा जरूरत के हिसाब से मांगने शुरू किए तो इस कंपनी की पोल खुल गई और उन्होंने अपनी वेबसाइट बंद कर दी। दो एजेंटों ने 10-10 हजार रुपए के लालच में अपने संपर्कों से पंजाब के विभिन्न जिलों में साढ़े 8 हजार से ज्यादा लोगों को जोड़कर उनसे करीब 25 करोड़ रुपए का निवेश करवाया। इसके बाद कंपनी का दफ्तर बंद हो गया। उसके मालिकों का फोन बंद है और घर में भी कोई नहीं है। परेशान लोगों पुलिस से पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की। इस कथित घोटाले के खिलाफ 64 लोगों की शिकायतें पुलिस को पहुंची। पुलिस ने 64 लोगों की शिकायत पर कंपनी के रणजीत सिंह, गगनदीप सिंह व गुरमिंदर सिंह के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था। दूसरी ओर लोगों ने एजेंटों को फोन करने शुरू कर दिए तो इसी के चलते 4 दिन पहले गोपाल नगर मोहल्ले की रहने वाली ज्योति नामक एजेंट ने फंदा लगाकर आत्महत्या की कोशिश भी की थी। संयोग था कि उसे फंदा गले में डालते बेटी ने देख लिया और फिर शोर सुनकर पड़ोसियों ने मौके पर पहुंचकर ज्योति को समझा-बुझाकर शांत किया था। पुलिस के मुताबिक इस महिला ने भी अपने पति का बीमा व बचत का काफी पैसा गोल्ड किट्टी में इन्वेस्ट किया था। साथ ही अच्छी जान-पहचान के चलते उसके साथ दूसरे लोग भी जुड़ते चले गए। लाखों रुपए इन्वेस्ट कर चुके लोगों को जब ठगी का पता लगा तो उन्होंने ज्योति को फोन करके पैसा वापस मांगना शुरू कर दिया।