उमरिया जिले के स्वास्थ्य महकमे का शातिर व घूसखोर बाबू वीरेन्द्र त्रिपाठी महामारी से निपटने की तैयारी में भी चांदी काटने के जुगाड़ में लगा था भला हो उस भले मानुष यानि सप्लायर का जिसने नोट के भूखे बाबू की मंशा कलेक्टर को बता दी नही तो यह राक्षस तो एक बार फिर लोगो के जीवन से खिलवाड़ करने की तैयारी पूरी ही कर दी थी, दरअसल पूरा मसला आक्सीजन की उपलब्धता से जुड़ा हुआ है जिसके लिए जिले में पर्याप्त आक्सीजन सिलेंडर का भंडारण रखना था लेकिन बाबू को उसमें भी घूस चाहिए थी और उसने ढाई लाख रुपये की डिमांड की और सप्लायर के मना करते ही न सिर्फ खेप रोकी बल्कि सिलेंडर से भरा ट्रक को भी गोदाम में खाली नही होने दिया,मामला कलेक्टर के संज्ञान में आते ही बाबू सस्पेंड है ।
गौरतलब है कि कोविड की दूसरी लहर में आक्सीजन के हाहाकार से अकेले शहडोल मेडिकल कालेज में एक ही दिन में दर्जनों लोग दम तोडे थे और जिले के 75 लोग महामारी की भेंट चढ़ चुके है तब स्वास्थ्य महकमा आक्सीजन मंगाने की हर संभव कोशिश में जुटा था लेकिन यह घूसखोर बाबू तब भी वही था और क्या कमाल किया होगा समझा जा सकता है ।
खुद के साथ पत्नी,बहन और भाई की फर्जी नौकरीसे सुर्खियों में रहने वाला घूसखोर बाबू वीरेन्द्र त्रिपाठी साल में तीन बार सस्पेंड होने वाला इकलौता कर्मचारी है जिसे इससे कोई फर्क नही पड़ने वाला जरूरत है ऐसे हैवान के खिलाफ आमलोगों की जान से खिलवाड़ करने का मामला दर्ज कराने की जिससे वो स्वास्थ्य महकमे में लोगो के जीवन की रक्षा कराने की बजाय जेल की रोटी सेककर पश्चाताप कर सके ।