निखिल कश्यप की रिपोर्ट
जांजगीर चाम्पा -माँ की चरणों, पर सारा, संसार,
शिष झुकाये,
माँ, जिसमे सारे, संसार को , नारी शक्ति के रूप मे मिला है,,
वह मां ही है, जिसे हमें दुनिया से पहले, नौ माह से जानती है,,
दुनिया का कोई भी दौलत, मां का दूध का कर्ज उतार नहीं सकता,, बच्चे ही मां के ह्रदय रूपी फूल होते हैं,
कला की दुनिया में, ऐसा कुछ नहीं, जो मां की लोरीओ में होती है,, बच्चे स्कूल बैग लेकर जाते हैं, तो मां1रूपये देती है, आज की दुनिया में, लाखों रुपए माँ एक रूपये दिए से कम है,
माँ अनमोल है,
ममता, त्याग, बलिदान की मूर्ति,,
जिसको देवता भी, माँ की चरण, वंदन करते है,
माँ अपने सारे सुख, दुख, अपने, बेटे, बेटियों, पर समर्पण कर,देते है,अपने, आँचल मे रख कर, हर सुख दुख भुलाकर ममता लुटाते है,
ममता के मुरत माँ,खुद भूखा रह कर,
अपने, हिस्से की निवाला, अपने बच्चों, को, भोजन खिला देती है,
ओर खुद भूखा, प्यासी रहती है,
माँ के गुस्सा मे भी प्यार, झलकता है,माँ की बच्चे जितना बड़ा हो जाये,
अपना प्यार जताना, नहीं भूलती क्योंकि माँ के नजरो मे छोटे ही रहते है,,
बच्चे,को चोट लग जाये कही पर,
माँ दौड़, कर, आँचल मे, छीपा कर दुलार, करते है,,जख्म पर मरहम लगाती है,,
जरुरत पड़े तो माँ, अपने, बच्चों के लिए, तलवार भी, उठा लेती है,
जान की परवा किये, बच्चों की रक्छा करती है,ऐसी होती है माँ,बलिदान की देवी माँ को सत सत नमन,माँ अपने बच्चे को अच्छे, संस्कार, से परवरिश करते है, और अच्छे, शिक्षा सिखाती है,
बड़ो का सम्मान करें,कभी भी किसी का अनादर ना करें,
मात्री शक्ति महान,
ऊपर जिसका अंत नहीं, उसे
आसमां कहते हैं,,
इस जहां में जिसका अंत नहीं, उसे मां कहते हैंl उसे मां कहते हैं