संगीता की रिपोर्ट
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,खरमास के समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए इस बार सबसे अधिक विवाह के शुभ मुहूर्त मई महीने में निकल रहे हैं। विवाह संबंधी मामलों में गुरु और बुध की अहम भूमिका मानी जाती है। हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त पर विचार किया जाता है। हिंदू धर्म में विवाह एक ऐसा कार्य है जो सिर्फ दो लोगों के बीच नहीं बल्कि दो परिवारों को जोड़ता है। विवाह से जुड़े सभी मांगलिक कार्यों को शुभ मुहूर्त और शुभ दिन देखकर किया जाता है। क्योंकि विवाह में किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। इसलिए ग्रहों की दशा से लेकर उनकी गोचर स्थिति का आकलन किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष विवाह के सबसे अधिक मुहूर्त मई महीने में निकल रहे हैं। विवाह संबंधी मामलों में गुरु और बुध की अहम भूमिका मानी जाती है। ज्योति शास्त्र के अनुसार,जब शुक्र तारा अस्त होता है तो विवाह संबंधी कार्य नहीं होते हैं। इसके अलावा खरमास में भी कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष फरवरी और मार्च में विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं बन रहा था। विवाह के शुभ कार्य 22 अप्रैल से शुरू हो चुके है। दरअसल 28 अप्रैल से वैशाख का महीना शुरू हो चुका है। सबसे श्रेष्ठ इस महीने को माना जाता है। कोई भी मांगलिक कार्य को करने के लिए यह महीना सबसे शुभ होता है। मई महीने में पड़ने वाले विवाह के शुभ मुहूर्त : 2 मई, 4 मई,7 मई,8मई, 21मई,22 मई,23 मई,24 मई,26 मई,29 मई,31मई ।खरमास,मलमास, देवशयनी के समय मांगलिक कार्यों को नहीं किया जाता है। केवल विवाह ही नहीं अन्य कोई शुभ कार्य भी नहीं किए जाते हैं। जबकि 22 अप्रैल से विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हुए थे। इस वर्ष 15 जुलाई यानी देवशयन से पहले 37 विवाह मुहूर्त बने हैं। इसके बाद 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी से 13 दिसंबर तक 13 दिन विवाह के शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।