सुखविंदर सिंह की रिपोर्ट
ग्वालियर। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने दुष्कर्म की एफआईआर को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि स्वेच्छा से शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है। आरोप लगाने वाली महिला जानती थी कि वह पहले से शादीशुदा है। बिना तलाक हुए उसका युवक से विवाह नहीं हो सकता है।
एक महिला ने वर्ष 2018 में सेनजीत सिंह पर महाराजपुरा थाने में दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था। महिला ने आरोप लगाया कि सेनजीत सिंह ने उसे शादी का झांसा दिया। 8 महीने तक उसके साथ दुष्कर्म किया। जब शादी के लिए कहा तो वह मना करने लगा। सेनजीत ने कहा कि हमारे बीच जातीय अंतर है।
इस वजह से शादी नहीं हो सकती है। पुलिस ने सेनजीत के खिलाफ दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज कर ली। सेनजीत अग्रिम जमानत पर रिहा हो गया। पुलिस ने जांच के बाद कोर्ट में चालान पेश किया। इसके बाद सेनजीत ने अधिवक्ता राजीव शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद जिला सत्र न्यायालय में चल रही ट्रायल पर रोक लगा दी। इसे फाइनल सुना गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सेनजीत ने महिला से शारीरिक संबंध बनाए थे, लेकिन वह दोनों की रजामंदी से थे। महिला शादीशुदा थी। उसने सेनजीत सिंह से अपनी शादी की बात छिपाई थी। जब तक पति से तलाक नहीं हो जाता है तब तक दूसरा विवाह नहीं हो सकता है।
महिला ने अपने पति पर दहेज प्रताड़ना का केस भी लगाया है। इन तथ्यों को वह जानती थी, उसके बाद भी सेनजीत पर शादी का दबाव बनाया। स्वेच्छा से बनाए गए संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आते हैं। शासन ने इस याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 11 फरवरी को फैसला सुरक्षित कर लिया था। अब कोर्ट ने फैसला सुना दिया है और दुष्कर्म की एफआईआर को निरस्त कर दिया।