मोहन प्रसाद यादव की रिपोर्ट
अनूपपुर-पवित्र नदी मां नर्मदा उद्गम एवं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जिले के तहसील पुष्पराजगढ़ के अंतर्गत ग्राम पंचायत कोईलारी ग्राम पंचायत के सिवनी संगम घाट पर मां नर्मदा के तट पर कल्प वृक्ष मिला है। जो लगभग ३०० साल पुराना है। जिसे पारिजात वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है।ये वृक्ष मिला था समुद्र मंथन के समय, ये वृक्ष १४रतनो में से एक है। इस वृक्ष में जो फूल लगते हैं वो सभी देवताओं में चढ़ाया जाता है।
इस वृक्ष की पूजा करने वाले एवं देखभाल करने वाले पुरोहित या पंडा राकेश सिंह धुर्वे ने बताया कि वृक्ष ३००साल से है। इस वृक्ष की देखभाल एवं पूजा अर्चना हमारे पूर्वजों के समय से की जा रही है। इस कल्प वृक्ष के दर्शन करने वाले बहुत दूर -दूर से आते हैं। ऐ वहीं कल्प वृक्ष है । जो दुर्लभ या विर्लय प्राजाति के वृक्षों में आते है। इस वृक्ष के संबंध में ऐसी मान्यता है कि ये कल्पनाओं का वृक्ष है। जो भी मानव सच्चे मन से इस वृक्ष के छांव के नीचे आता है अपनी मनोकामना लेकर उसकी मनोकामना पूर्ण होती हैं। इस वृक्ष के संबंध में हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों में भी इस वृक्ष का उल्लेख किया गया है। ऐ वहीं कल्प वृक्ष एवं पारिजात वृक्ष है , इस कल्प वृक्ष यानि पारिजात वृक्ष के लिए भगवान श्रीकृष्ण को देवराज इंद्र से करना पड़ गया था युद्ध कारण था। इस वृक्ष की सुंदरता और वैभव की गाथा।।।जब नारद जी ने भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा के समक्ष पारिजात वृक्ष के गुण बताए तब प्रभु श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा को रहा नहीं गया। और वो अपने स्वामी श्री कृष्ण जी से हठ करने लगी कि स्वामी हमारे बगीचे में एक पारिजात वृक्ष होना चाहिए, मैं भी इस वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना कर के अपनी मनोकामना पूर्ण करना चाहती हूं। इसके लिए आप स्वर्ग के राजा देवराज इन्द्र से एक पारिजात वृक्ष के लिए मांग करें ।जब नारद जी ने देवराज इन्द्र के सामने सत्यभामा का प्रस्ताव रखा। तो देवराज इन्द्र ने माना कर दिया। तब श्रीकृष्ण ने देवराज इन्द्र से युद्ध कर इस कल्प वृक्ष यानि पारिजात वृक्ष को धरती पर लाए थे।
सिर्फ दूसरे देशों में है यह वृक्ष
यह वृक्ष उत्तराखंड और ऐसे कई स्थानों में पाई जाती है धीरे धीरे इसकी प्रजाति विलुप्त होते जा रही है सौभाग्य है कि यह मां नर्मदा कि कृपा से यहां अनूपपुर जिले में मिला है।
इनका कहना है
अब इस कल्प वृक्ष के रक्षा के लिए वहां के पंडा राकेश सिंह धुर्वे ने राजधानी एक्सप्रेस न्यूज शहडोल संभाग प्रमुख के माध्यम से शासन – प्रशासन से गुहार लगाना या प्रार्थना करना चाहते हैं कि ऐसे वृक्ष जो बहुत दुर्लभ होते हैं,इनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, ये वृक्ष नदी के तट पर स्थित है परंतु इसकी संरक्षण नहीं की गई तो नर्मदा नदी के बाढ़ में ये भी चली जाएगी, हमने अपने यहां के सरपंच,जनपद एवं विधायक को बताया परन्तु कोई ध्यान नहीं दे रहे है।