शेखर की रिपोर्ट
जमात उल विदा मुस्लिम समुदाय का एक प्रमुख पर्व है यह त्यौहार रमजान की आखिरी शुक्रवार को मनाया जाता है इस दिन नमाज का मुस्लिम समुदाय में विशेष महत्व माना गया है इस पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस दिन पैगंबर मोहम्मद साहब ने अल्लाह की विशेष इबादत की थी वर्ष 2021 में जमात उल विदा का पर्व 7 मई शुक्रवार को मनाया जाएगा शुक्रवार को बाकी के जुम्मे के दिनों से ज्यादा महत्वपूर्ण बताया गया है ऐसा माना जाता है कि जमात उल विदा के दिन जो लोग नमाज पढ़कर अल्लाह की इबादत कहेंगे और अपना पूरा दिन मस्जिद में बिताएंगे उसे अल्लाह के विशेष रहमत और बरकत प्राप्त होगी इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि उन दिन अल्लाह अपने एक फरिश्ते को मस्जिद में भेजता है जो कि लोगों की नमाज को चुनता है और उन्हें आशीर्वाद देता है 3 दिन लोग साफ-सुथरे कपड़े पहनकर मस्जिद में नमाज अदा करने आते हैं और अल्लाह के अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हैं और भविष्य में सही मार्गदर्शन के लिए दुआ करते हैं इस दिन के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ऐसी मान्यता है दिन खुद आसमान पर फरिश्ते मुसलमान के दम पर रोते हैं क्योंकि रमजान का यह पवित्र महीना समाप्त होने वाला होता है यही कारण है इस्लाम धर्म के अनुयायियों द्वारा जमात उल विदा इस पर्व को कितने धूमधाम के साथ मनाया जाता है जमात उल विदा के इस त्यौहार को इस्लाम धर्म में काफी विशेष स्थान प्राप्त है रमजान महीने की आखिरी शुक्रवार को मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर ऐसा माना जाता है कि इन दिनों जो भी व्यक्ति अपना समय नमाज पढ़ते हुए अल्लाह के प्रार्थना में बिताता है उसे अल्लाह की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पूरे वर्ष अल्लाह से उसकी रक्षा करते हैं और उसे भर कर देते हैं हर पर्व की तरह जमाल उल विदा के पर्व को मनाए जाने का अपना एक एक तरीका और रिती रिवाज हैं इस दिन लोग समूह में नमाज पढ़ते हैं जहां वह नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह से प्रार्थना करते हैं इन दिन लोग अपने प्रिय जनों के सुख शांति के लिए दुआ करते हैं ऐसा माना जाता है कि इन दिन जो भी व्यक्ति किसी गरीब को खाना खिलाता है और अल्लाह की विशेष कृपा प्राप्त होती हैं इस दिन लोगों द्वारा काफी जमकर खरीदारी भी की जाती है इसमें देवी की खरीदारी अवश्य होती है घरों में खासकर पकवान बनाए जाते हैं और दांतों का आयोजन किया जाता है इस दिन ज्यादा रोजेदार नए कपड़े पहन कर नमाज पढ़ने जाते हैं और कई लोगों द्वारा तो मस्जिदों में नमाज पढ़ने से पहले घर में भी कुरान पढ़ी जाती है इसके साथ ही इस दिन को लेकर लोगों का ऐसा भी विश्वास है कि इन दिन दान करने से काफी पुण्य प्राप्त होता है इसलिए इस दिन लोग द्वारा जरूरतमंद और गरीबों को दान भी दिया