हल्द्वानी : पिछले एक साल से मरीजों को घर से अस्पताल और अस्पताल से घर छोड़ रहा हूं। मगर अब संक्रमण बढऩे की वजह से मौतों का सिलसिला बढ़ गया है। ऐसे हालात पहले नहीं देखे। मंगलवार के दिन 20 लोगों को गाड़ी से अस्पताल में शिफ्ट किया। इसके अलावा दस संक्रमित शवों को मोर्चरी से श्मशान घाट तक छोड़कर आया। मगर शाम को मोटाहल्दू से जिस युवक की बॉडी लेकर आया था। उसे भर्ती भी अपनी एंबुलेंस से किया था। जिसे स्वस्थ होने के लिए भर्ती कराया था उसका शव लाते वक्त दिमाग में कई सवाल गूंज रहे थे। दिमागी तनाव के बीच बारात देख पीपीई किट में ही नाचने लग गया।
मूल रूप से गौलापार निवासी 35 वर्षीय एंबुलेंस चालक महेश पांडे वर्तमान में जेल रोड के पास रहता है। देवभूमि एंबुलेंस सेवा समिति के कोषाध्यक्ष महेश ने बताया कि एंबुलेंस चालक अपनी जान पर खेलकर मरीजों को इधर से उधर लेकर जाते हैं। तपती गर्मी में किट, मास्क, ग्लब्स व अन्य सेफ्टी उपकरण पहनना काफी मुश्किल होता है। लेकिन खुद को बचाने के लिए इनकी जरूरत है।
महेश के मुताबिक पिछले लॉकडाउन के मुकाबले इस बार ज्यादा बड़ा संकट है। दिनभर संक्रमितों के बीच में रहने की वजह से डर तो काफी लगता है लेकिन इस दौर में लोगों को हमसें भी काफी उम्मीद है। एक मरीज को कई अस्पतालों में चक्कर लगाने के बाद बेड मिलता है। मंगलवार शाम साथियों संग मोटाहल्दू से उस युवक की बॉडी लेने गया था। एसटीएच के आगे बाकी लोग पीपीई किट उतारने में लगे थे। जबकि मेरे दिमाग में उस युवक का चेहरा तैर रहा था। जिसे मैं छोड़कर तो जिंदा आया था मगर अब वो इस दुनिया में नहीं रहा। तभी सामने बारात नजर आई और कुछ देर को दिमागी टेंशन को भूल मैं खुद ब खुद नाचने लगा।