शेखर की रिपोर्ट
कोचिंग संस्थानों के बंद हुए 19 माह हो चले हैं। कोचिंग संचालकों Mr mahindra’s Institute चास के डिरेक्टर मुकेश कुमार ने कहा यहां कार्यरत शिक्षकों एवं कर्मचारियों के समक्ष भुखमरी की नौबत आ चुकी है।अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। कर्ज बढ़ता जा रहा है।मुकेश कुमार ने कहा
संस्थान का किराया, बिजली बिल, कर्मचारियों का वेतन, नगर निगम के टैक्स समेत अन्य खर्चे कम होने का नाम नहीं ले रहा है। देनदारी बढ़ती जा रही है।लगातार दूसरे साल सरकार की पाबंदियों के कारण सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं। अगर पाबंदी सरकार की तो भवनों के किराए की जिम्मेवारी भी सरकार की होनी चाहिए। उन्होंने कहा की
भारत का कोई भी नागरिक नहीं जान सकता कि कब तक ऐसे ही बंदी का माहौल रहेगा।कोविड प्रोटोकाल के तहत कोचिंग संस्थान भी खुलना चाहिए। अब बाजार खुलने के साथ ही भवन मालिक किराए के लिए दबाव बना रहे हैं। कहीं-कहीं तो मकान मालिकों ने मकान में तालाबंदी तक कर दी है। वही चास Inspiring Mind Institute के
डिरेक्टर रवि कुमार सिन्हा का कहना है की कोचिंग संचालक सड़क पर आ गए हैं। सवाल यह उठता है कि इस डेढ़ दो साल का किराया कहां से दें। अधिकतर छोटे कोचिंग संचालक की इतनी भी कमाई नहीं होती कि ठीक से अपने घर की जरूरतें भी पूरी कर सकें। ऐसे में इतने बड़ी बोझ का जिम्मेवार कौन होगा। एक ओर मकान मालिकों की कमाई का जरिया भी कोचिंग संचालन ही है।