अमित खुटें की रिपोर्ट
मुफ्तखोरी की तनख्वाह खाकर मौज कर रहे हैं शिक्षक, उस पाठशाला के बच्चों को अपनी पाठशाला का नाम तक याद नहीं।
ग्राम पंचायत जुनवानी के आश्रित ग्राम कटहा में शिक्षक आऐदिन रहते हैं नदारद, कभी आ भी जाए पाठशाला तो मोबाइल में बतियाने से नहीं मिलती फुर्सत।
विकास खंड शिक्षा अधिकारी को कराया गया है अवगत, कामचोर और लापरवाह शिक्षकों के ऊपर करवाही करने की बात कही है।
मस्तूरी // लोग शिक्षकों को भगवान का दर्जा देते हैं, पर कुछ शिक्षक ऐसे भी होते हैं जिसे गुरु कहने पर लोगों को आपत्ति या फिर झिझक महसूस होते हैं। बच्चों की भविष्य बनाने का काम जिन गुरु और शिक्षकों के ऊपर होता है उन्हें निश्चित ही सम्मान और भगवान का दर्जा दिया जा सकता है लेकिन कुछ ऐसे भी शिक्षक होते हैं जिसे ना तो सम्मान दिया जा सकता है और ना ही भगवान का दर्जा दिया जा सकता है। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले और उन्हें अंधविश्वास में रखकर उनके नाम पर कमाई खाने वाले मस्तूरी क्षेत्र में ऐसे बहुत से शिक्षक आपको मिल जाएंगे जिनकी एक लंबी सूची तैयार हुई है। जिनको बारी-बारी खबर के माध्यम से आप लोगों के बीच लाया जाएगा। फिलहाल अभी ऐसे ही एक ताजा मामला सामने आया है।
मस्तूरी विकासखंड के सरकारी स्कूलों की बदहाली से अब लोग अनजान नहीं हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति से तो सब वाकिफ हैं, लेकिन उसके कारणों का बहुत कम लोगों को पता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि स्कूलों की इस बदहाली के लिए जिम्मेदार कौन लोग हैं। दरअसल जिनकी पीठ पर इन स्कूलों और यहां पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी दी गई है, वही इनके विध्वंसक बन बैठे हैं। बिलासपुर जिले के मस्तूरी विकास खण्ड के जुनवानी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम कटहा में 138 बच्चों की दर्ज संख्या जिसमे पांच शिक्षक है। कहते हैं की गुरु से बढ़ कर ज्ञान देने वाले कोई नही है जब इन लोगो के पास ज्ञान ही नहीं है तो बच्चों को कैसे शिक्षा देंगे जो खुद स्कूल सही तरीके से नही आते हैं।
कटहा स्कूल में पदस्थ सफाई कर्मी बता रहे है कि स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक रमेश पटेल उपस्थित देते हैं देरी से एक शिक्षिका आई थी और कुछ देर बाद उपस्थिति पंजी में दस्खत कर वापस चली गई क्योंकि उनका घर भी पांच किलोमीटर की दूरी है। जब आओ और जाओ जैसे पाठशाला नहीं बल्कि कोई रिश्तेदार का घर हो। कटहा प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षकों की बच्चों को पढ़ाने में नहीं बल्कि नेतागिरी करके बच्चों के पालकों को और शिक्षा विभाग की जवाबदार कर्मचारी अधिकारी को अपनी राह दिखाने का कार्य करते हैं।तनख्वाह तो सरकार की खाते हैं छात्र-छात्राओं को शिक्षा देने के लिए लेकिन विद्यालय में अपनी पहुंच और पावर की वाहवाही लूटते फिरते हैं। काम चोरी और जुमलेबाजी करने में माहिर है यहां के शिक्षक। इन लोगों के बारे में अगर कोई शिकायत या फिर खबर ले ले तो इनके समर्थन में नेता से लेकर अधिकारी तक का फोन या काल आने शुरू हो जाती है फोन की घण्टी बजने लगे जाती ।इसलिए इन शिक्षकों के खिलाप शिकायत करने से भी लोग कतराते हैं पूरी वकया वहां के भृत्य की जुबांनी और पांचवी कक्षा की बच्चों से पढ़ाई का स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है।
सरकारी शिक्षक की उपस्थिति के बारे में पूछने पर बहुत सोच समझ कर बताया गया कि वो कब आते हैं, केवल ये तो सिर्फ बुधवार का है और भी कई दिनों से नहीं आए थे।आने के बाद अनुपस्थिति के स्थिति में उपस्थिति दर्ज हो जाता है
ग्रामीणों ने बताया कि इस स्कूल में पंजीकृत बच्चों को पढ़ाने के लिए पांच शिक्षक है , जिनमें से एक शिक्षक पटेल ही आता हैं । इन दिनों इस विद्यालय की व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई। बाकी तीन चंदेल सर हैं उनके बारे में ग्रामीणों ने बताया कि सप्ताह में एक दो दिन आकर हस्ताक्षर करके चले जाते हैं।पढ़ने वाले विद्यार्थियों की हालात इतनी दयनीय स्थिति है कि अपने स्कूल का नाम भी नही पता कि किस स्कूल में पढ़ते हैं वहां के शिक्षक कितने है पहाड़ा हो या हिंदी का वर्णमाला, व्यंजन, बारहखड़ी सप्ताह का नाम कुछ भी पता नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि शिक्षक कितना पढ़ाते हैं।
सरकार की तरफ से मिलने वाली मोटी तन्ख्वाह के बावजूद सरकारी शिक्षक मुफ़्तख़ोरी का खाना पसंद करते हैं । सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए शिक्षकों का यह रवैया बच्चों के लिए बेहद घातक हो सकता है।
इस विषय में मस्तूरी बीईओ अश्वनी भारद्वाज को अवगत कराया गया तो उन्होंने लापरवाह शिक्षकों के प्रति कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।
बिईओ का कहना है कि जुनवानी ग्राम पंचायत की शिकायत लंबे समय से आ रहा था जुलाई माह में भी वेतन रोका गया फिर भी कोई सुधार नहीं हो रहा है।और भी शिकायत आया है ।जांच की जाएगी कड़ी कार्यवाही किया जाएगा कह कर बोले हैं