प्रकाश झा की रिपोर्ट
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की एक मात्र मरवाही विधानसभा सीट में हुए उपचुनाव के नतीजे आ गये हैं। जोगी का गढ़ कहे जाने वाले मरवाही में एक नए युग की शुरूआत हुई है, 20 सालों बाद मरवाही में जोगी परिवार से अलग कोई व्यक्ति यहां का विधायक बना है। मरवाही का मुकाबला भले ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच था लेकिन चुनाव की शुरूआत से अंत तक सबसे ज्यादा चर्चा रही जोगी वोट बैंक की और कयास यह लगाये जा रहे थे कि जोगी फैक्टर ही मरवाही के नतीजों को प्रभावित करेगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, बल्कि बड़े लीड के साथ कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई मरवाही सीट में उपचुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों ने काफी जोर आजमाइश की। जाति के फेर में फंसकर अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी और बहु ऋचा जोगी का नामांकन खारिज हो गया। उसके बाद सीधी टक्कर बीजेपी और कांग्रेस के बीच रही दोनों ही पार्टियों ने डॉक्टरों पर दांव खेला। बीजेपी के प्रत्याशी डॉ. गंभीर सिंह थे और बीएमओ की नौकरी छोड़कर डॉ. केके ध्रुव ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में राजनीति में प्रवेश किया।
दोनों ही पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गजों ने चुनाव में जमकर प्रचार किया। कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद यहां जाकर 3 दिनों तक धुंआधार प्रचार किया। वहीं जिले के प्रभारी मंत्री मंत्री जयसिंह अग्रवाल भी यहां पिछले 4 महीनों से डटे रहे। इतना ही नहीं भूपेश कैबिनेट के बाकी मंत्रियों ने भी यहां बारी-बारी से जाकर कांग्रेस के पक्ष में प्रचार किया। इधर, बीजेपी से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह समेत पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, केदार कश्यप जैसे नेताओं ने भी अपनी पूरी ताकर मरवाही में झोंकी। चुनाव से पहले जिस जोगी वोट बैंक की चर्चा जोरों पर थी उसे हर कोई अपने पक्ष में करने की पुरजोर कोशिश करते दिखायी दिए और अमित जोगी ने भी चुनाव से ठीक पहले बीजेपी को अपना समर्थन दे दिया, जबकि उन्ही की पार्टी के दो विधायकों ने इस समर्थन का विरोध भी किया। इन तमाम राजनीतिक दांव-पेच के बावजूद 38 हजार 197 मतों की लीड लेकर कांग्रेस के केके ध्रुव ने यहां से जीत हासिल की। डॉ. केके ध्रुव को पिछले चुनावों में अजीत जोगी से भी ज्यादा वोट मिले। केके ध्रुव को कुल 83 हजार561वोट मिले, जबकि बीजेपी के डॉ. गंभीर सिंह को 45 हजार 364 मतों से ही संतोष करना पड़ा।