जितेंद्र लहरे की रिपोर्ट
मस्तूरी मुख्यालय के अंतिम छोर ग्राम पंचायत चिस्दा में आए हुए प्रवासी 500 से अधिक मजदूरों को नहीं मिल रहा समय पर खाने की समाग्री। ग्राम पंचायत के प्रत्येक ग्राम पंचायतों में प्रवासी मजदूरों को समय पर खाने पीने की व्यवस्था करना पंचायत की जनप्रतिनिधियों का पहली प्राथमिकता है, लेकिन ग्राम पंचायत चिस्दा के पंचायत प्रतिनिधि समय पर खाने पीने की व्यवस्था नहीं करने को लेकर स्कूल भवन में रह रहे प्रवासी मजदूरों में भारी रोष है। पंचायत प्रतिनिधियों को खरी-खोटी सुनाने के साथ-साथ प्रवासी मजदूर शासन प्रशासन को कोस रहे हैं।
ग्राम पंचायत चिस्दा में रह रहे प्रवासी मजदूरों को ना तो सुबह नाश्ता पानी की व्यवस्था किया जाता है और ना ही शाम को दोपहर 1:30 बजे के बाद ही उन्हें भोजन दिया जाता है और रात में 8:00 के बाद ही भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है,जिससे प्रवासी मजदूरों में रह रहे छोटे छोटे बच्चे भूख से बिलखते रहते हैं। साथ ही प्रवासी मजदूरों ने आरोप लगाया है कि किसी भी दिन कोई प्रकार की सब्जी उपलब्ध नहीं कराई जाती सिर्फ दाल और चावल से प्रवासी मजदूरों को परोसा जाता है, जिससे दूर दराज से आए हुए प्रवासी मजदूर अपने आप को बहुत ही तकलीफ एवं बेबस महसूस कर रहे हैं।
इस संबंध में पंचायत प्रतिनिधियों से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि शासन प्रशासन की ओर से कोई प्रकार की मदद नहीं मिल रही है जिसकी वजह से दाल और चावल ही प्रवासी मजदूरों को दिया जाता है, जिसको जो समस्या है वह स्वयं आकर इन लोगों की व्यवस्था कर सकते हैं, ऐसी बात करके अपने आप से पल्ला झाड़ रहे हैं। जिससे स्कूल प्रांगण भवन में ड्यूटी लगाया गए प्रभारियों को प्रवासी मजदूरों की खरी खोटी बातें सुनने को मिल रही है। ग्राम पंचायत चिस्दा के प्रवासी मजदूरों के पास शासन प्रशासन की जवाबदार अधिकारी नहीं पहुंचने के कारण यह हालात सामने आया है।