हरिश साहू की रिपोर्ट
दंतेवाड़ा : दंतेवाड़ा में “छू लो आसमान” प्रोजेक्ट की 25 से अधिक अनुसूचित जनजाति की छात्राओं ने मेडिकल की NIIT परीक्षा में क्वालीफाई किया है।लेकिन सरकार के निकम्मेपन और संवेदनहीनता के कारण इन बच्चियों का रजिस्ट्रेशन ही नही हुआ है।जिससे वे कॉउंसलिंग में ही भाग नहीं ले पा रही हैं।उन्हें क्वालीफाई करने के बावजूद डॉक्टर बनने से वंचित किया जा रहा है।इसके दर्द को कम्पटीशन परीक्षा की तैयारी करने वाले युवा समझ सकते हैं, उनके माता-पिता समझ सकते हैं।सोचिये की बस्तर की उन बेटियों और उनके माता-पिता पर क्या गुजर रही होगी ।आदिवासी क्षेत्र दंतेवाड़ा के बच्चे जो नक्सल प्रभावित हुआ करता था जिसको शिक्षा रूपी प्रहार से बदलने का प्रयास किया गया। यूथ आइकॉन और दंतेवाड़ा में कलेक्टर रह चुके ओपी चौधरी ने छू लो आसमान नाम का एक शिक्षा के क्षेत्र में प्रोजेक्ट वहां बनाया था ताकि वहां के बच्चे शिक्षा के स्तर को बढ़ा सकें। वहां के बच्चे अब वास्तविक ने आसमान छूने लगे हैं ऐसे में उन बच्चों के समक्ष एक बहुत बड़ी चुनौती खड़ी हो चुकी है ।छू लो आसमान के बच्चे कभी परीक्षा के लिए लेट हो जाते थे तो उन्हें फ्लाइट या हवाई मार्ग के माध्यम से परीक्षा देने भेजा जाता था ,आज वहीं के बच्चे परीक्षा में सफल होने पर भी अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे ,वो भी शासन और प्रशासन से । कितनी बड़ी लापरवाही कहनी चाहिए इसे ? पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी जी ने मुख्यमंत्री जी से आग्रह किया है कि प्रदेश के मुखिया होने के नाते संवेदनहीनता से ऊपर उठकर संवेदनशीलता का परिचय दें। ऐसे क्षेत्र से निकल रहे प्रतिभाओं को समझने का प्रयास करें । ये सभी बच्ची परीक्षा में उत्तीर्ण हुईं हैं , ये सभी बच्ची पहले राउंड के काउंसलिंग की हकदार हैं । जल्द से जल्द उनके फर्स्ट राउंड के काउंसलिंग में प्रवेश की व्यवस्था कराएं ।