सन्नी यादव की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ की समाज सेविका पद्मश्री श्रीमती फूलबासन यादव बहुत जल्द अमिताभ बच्चन के सामने केबीसी के हाॅट सीट पर बैठी हुई दिखाई देंगी। राजनांदगांव जिले के सुकुलदैहान नामक गांव में रहने वाली पद्मश्री श्रीमती फूलबासन यादव का चयन स्वयं केबीसी की टीम द्वारा किया गया है। केबीसी की टीम आजकल में उनके गांव पहुंच कर शूटिंग शुरू करने वाली है जिसका प्रसारण केबीसी द्वारा उस दिन किया जायेगा जिस दिन पद्मश्री फूलबासन यादव केबीसी के हाॅट सीट पर बैठी दिखाई देंगी।
पद्श्री श्रीमती फूलबासन यादव विगत दो दशकों से छत्तीसगढ़ की गरीब महिलाओं के आर्थिक उत्थान के लिए ’ मां बम्लेश्वरी महिला स्व सहायता समूह ’ के माध्यम से छत्तीसगढ़ में एक अभिनव स्त्री क्रांति को जन्म दे रही है। इस समूह के आज छत्तीसगढ़ में ’ तेरह हजार चार सौ चवालीस ’ शाखाएं हैं और लगभग दो लाख से ऊपर महिलाएं जिसकी सक्रिय सदस्य हैं। आज इसका वार्षिक टर्नओवर 40करोड़ रूपए से भी अधिक है। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित तथा देश के सर्वोच्च पुरस्कार जमना लाल बजाज से पुरस्कृत फूलबासन यादव को अब तक पचास लाख रूपए से भी अधिक की राशि पुरस्कार के रूप में प्राप्त हो चुकी है। फूलबासन ने पुरस्कार में मिली इस पूरी राशि को ’ मां बम्लेश्वरी महिला स्व सहायता समूह ’ को दान कर दिया है।
केबीसी द्वारा उनकी चयन की सूचना मिलते ही पद्मश्री श्रीमती फूलबासन यादव ने बताया की केबीसी की शूटिंग के लिए वे दो अक्टूबर को मुम्बई जा रही हैं। उनसे यह पूछने पर कि केबीसी द्वारा हाॅट सीट के लिए उनका चयन किए जाने पर वे कैसा अनुभव कर रहीं हैं ? तो उन्होंने बताया कि यह सब मेरे अकेले के कारण नहीं हुआ है बल्कि इसके पीछे छत्तीसगढ़ की मेरी दो लाख से भी अधिक महिला साथियों का परिश्रम है जो दिन रात ’ मां बम्लेश्वरी स्व सहायता समूह ’ के काम में लगी रहती हैं। साथ ही उन बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद और आप सबका प्यार है जिससे मुझे हमेशा शक्ति मिलती रहती है।
उनसे यह पूछने पर कि इस समय वे ’ मां बम्लेश्वरी महिला स्व सहायता समूह ’ के अंर्तगत किन कामों को अंजाम देने में लगी है ? तो उन्होंने कहा कि वे तीन तालाबों का निर्माण करवा चुकी हैं जिसमें उन्होंने मछली के बिज भी डलवा दिए हैं। इससे प्राप्त होने वाली आय से वे उन गरीब बच्चों का मदद करना चाहती है जो गरीबी के अभाव में पढ़ नहीं पातें हैं।
फूलबासन यादव ने बताया कि वे जल्दी ही ’ मां बम्लेश्वरी महिला स्व समहायता समूह ’को मुर्गी पालन और बकरी पालन से जोड़ना चाहती है और इस तरह के छोटे-छोटे कुटीर धंधे से जोड़कर छत्तीसगढ़ की गांव की महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी एवं उन्नत बनाना चाहती है।
विदित हो कि बमुश्किल पांचवी कक्षा तक पढ़ने के बाद, तेरह-चैदह वर्ष की उम्र में शादी होकर सुकुलदैहान आई फूलबासन ने गरीबी और अभाव के बेहद दुर्दिन देखें हैं। कई रातें वह भूखे सोई है। गरीबी की मार झेलते हुए अपने पांव पर खड़े होने तथा अपनी जैसी अन्य महिलाओं को खड़ी करने की जिद ने आज उन्हें इस शानदार मुकाम तक पहुंचाया है