एयर इंडिया की घर वापसी
लंबे समय से एयर इंडिया घाटे पर चल रही थी जिसके चलते एयर इंडिया को सरकार इसे बेचना चाहती थी 1932 में हुई थी लाइन की शुरुआत हुई थी आपको बता दें कि जीआरटी टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई 1964 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया और यह सरकारी कंपनी बन गई करीब 68 साल बाद एयर इंडिया की टाटा ग्रुप में घर वापसी हो गई है टाटा ने 15 सितंबर को एयर इंडिया को खरीदने के लिए अपनी फाइनल बोली लगाई थी अभी इसकी कोई अधिकारी सूचना नहीं दी गई है वहीं दीपक ने कहा कि मीडिया रिपोर्टर ने इंडिया के निजीकरण की मंजूरी पर जो भी कहा जा रहा है वह गलत है मीडिया को सरकार की तरफ से सूचना दी जाएगी जब सफल सरकार कोई फैसला लेगी आपको बताते जाए कि टाटा संस कि ग्रुप में 66 फ़ीसदी हिस्सेदारी है और यह टाटा समूह के प्रमुख स्टेकहोल्डर है केंद्र सरकार सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100% हिस्सेदारी बेचना चाहती थी जिसमें एयर एक्सप्रेस लिमिटेड ने एयर इंडिया की हंड्रेड परसेंट हिस्सेदारी और एयर इंडिया एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50% हिस्सेदारी शामिल है साल 2007 में घरेलू ऑपरेटर इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद यह घाटे में है साल 2017 से ही सरकार एयर इंडिया के विनिवेश का प्रयास कर रही है तब से कई मौके पर प्रयास सफल नहीं हो पाए ऐसे में सरकार ने बाद में नियमों में कुछ बदलाव किए और खरीदारी के लिए नया विकल्प दिया इस वजह से विनिवेश की प्रक्रिया से देरी हो गई सरकार ने अप्रैल 2001 में संभावित बोली दाताओं को वित्तीय बोले रोकने के लिए कहा था इसकी अवधि 15 सितंबर तक थी बरहाल सफल बोली लगवाने वाली कंपनी को एयर इंडिया की सस्ती विमान सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी सब प्रश्न नियतम मिलेगा आपको बताते जाएगी टाटा ग्रुप में इसकी बोली 15 हजार करोड़ लेकर 20 हजार करोड़ तक लगाने का अनुमान बताया जा रहा है इस न्यूज़ के बारे में अधिकारिक रूप से यह सूचना अभी तक नहीं मिली है कि कितना में टाटा ग्रुप ने बोली लगाई है।