मनोज उनियाल की रिपोर्ट
शिमला । कोविड महामारी से निपटने के लिए खरीदे गए सेनेटाइजर पर तीन गुना दाम के फर्जी ठप्पे लगाने के लिए राज्य सचिवालय के फाटक छुट्टी के दिन खोले गए थे। इस घोटाले में संलिप्त एक भाजपा नेता ने अपने प्रभाव से छुट्टी का दिन होने के बावजूद संबंधित ब्रांच के सुपरिटेंडेंट को सचिवालय बुला लिया था। सुपरिटेंडेंट को साथ लेकर सप्लायर ने सचिवालय में पहुंच कर 50 रुपए के सेनेटाइजर पर 150 रुपए के फर्जी ठप्पे लगाए थे। लालच की हदों को पार करने वाले इन दोनों की करतूत सचिवालय की वीडियो फुटेज में कैद हो गई थी। विजिलेंस के हाथ लगी इस फुटेज के बाद अब सप्लायर के साथ सुपरिटेंडेंट और ब्रांच के दूसरे कर्मचारियों पर भी जांच का फंदा चढ़ गया है। अलबत्ता सेनेटाइजर घोटाले में सचिवालय प्रशासन ने अधीक्षक को सस्पेंड कर दिया है। सूत्रों के अनुसार विजीलेंस की जांच रिपोर्ट आने से पहले सचिवालय प्रशासन ने संबंधित ब्रांच के अधीक्षक रहे अफसर को सस्पेंड कर दिया है। इससे पहले जब यह घोटाला सामने आया था, तो उक्त अधिकारी को उस ब्रांच से हटाया गया था और किसी दूसरी शाखा में भेजा गया था। चूंकि इस अधिकारी के पास दो-दो शाखाओं का जिम्मा था, तो उसे वहां से हटा दिया गया था। कंट्रोल रूप में इसका अतिरिक्त कार्यभार था, जहां से इसे हटाया गया था और शुक्रवार को सचिवालय प्रशासन ने उसे सस्पेंड कर दिया है। अभी इस मामले में विजिलेंस की जांच चल रही है, जिसने पूरा रिकार्ड खंगाल लिया है और जल्दी ही विजीलेंस इस मामले में भी एफआईआर करेगी। सूत्रों के अनुसार सचिवालय के ही उस दिन ड्यूटी पर तैनात दो कर्मचारियों ने प्रशासन को संबंधित अधीक्षक के खिलाफ लिखित रूप में दिया था। इसके अलावा भी कुछ दूसरे सबूत सचिवालय प्रशासन के सामने आए हैं, जिसके बाद अधीक्षक को सस्पेंड किया गया है। बता दें कि सचिवालय में 50 रुपए के सेनेटाइजर को 150 रुपए का बताकर उस पर 20 रुपए की छूट सप्लायर द्वारा दी जा रही थी। इस रेट के ठपे सचिवालय में आकर सेनेटाइजर की शीशियों पर लगाए गए थे। सीसीटीवी कैमरे में भी इसकी तस्वीरें साफ दिखाई दे रही हैं, जिसके बाद प्रशासन ने विजिलेंस में मामला दर्ज करवाया। बताया जाता है कि इसमें अपरोक्ष रूप से भाजपा के एक नेता का भी हाथ है, जोकि सप्लायर का रिश्तेदार है। इतना ही नहीं, ये सेनेटाइजर किसी कंपनी ने डोनेट किए थे, जिनको यहां सचिवालय में लाकर बेच दिया गया। कोविड के दौरान यह बड़ा मामला सामने आया है। इसके बाद राज्य में स्वास्थ्य घोटाला भी उजागर हुआ, जिस पर भी विजिलेंस की जांच चल रही है। जल्दी ही दोनों मामलों में कई बड़े खुलासे होंगे, लेकिन इससे पूर्व सचिवालय में अधीक्षक को सस्पेंड किया गया है। यहां पर कई और भी निशाने पर आ सकते हैं।
दान के सेनेटाइजर से 30 लाख कमाने का खेल
कोविड संकट के बीच पैसे कमाने के लालच ने ईमान को भी दागदार कर दिया है। मामले से जुड़े भाजपा नेता ने सचिवालय में दी सेनेटाइजर सप्लाई जरूरतमंदों को बांटने के लिए कंपनी से फ्री में ली थी। मुफ्त में आए 50 रुपए के इन सेनेटाइजर पर 150 रुपए के फर्जी ठपे लगाकर सचिवालय का 30 लाख का ऑर्डर हथियाया गया था।