देहरादून। शहर में पालीथिन का उपयोग रोकने के लिए नगर निगम दोबारा से जुर्माना वसूलने की तैयारी कर रहा है। फिलहाल निगम पॉलीथिन जब्त कर चेतावनी दे रहा, लेकिन नगर आयुक्त ने एक मार्च से जुर्माने की वसूली का आदेश दिया है।
सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति के लिए राज्य कैबिनेट की ओर से पॉलीथिन कैरीबैग समेत प्लास्टिक व थर्मोकोल से बने सिंगल यूज उत्पादों के उपयोग, उत्पादन एवं बिक्री पर प्रतिबंध के बाद नगर निगम ने शहर में व्यापक अभियान की तैयारी की है। नियमों का उल्लंघन करने पर 100 रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक के जुर्माना लगाने का आदेश दिया गया है।
नगर निगम ने 2019 में सिंगल यूज प्लास्टिक के विरुद्ध व्यापक अभियान चलाया था। बीते वर्ष कोरोना काल के कारण निगम ने अभियान पर रोक लगा दी थी। नगर निगम ने अब सख्त रुख अपनाया है। पालीथिन कैरी बैग, प्लास्टिक-थर्मोकोल से बनी थैलियों, पत्त्तल, ग्लास, कप, चम्मच, कांटा, स्ट्रा, चाकू, पैकिंग सामग्री के प्रयोग, बिक्री, उत्पादन, भंडारण और परिवहन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगने के बाद निगम की ओर से जागरुकता अभियान शुरू कर दिया गया है। नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण को देखते हुए अब जुर्माने की तैयारी की जा रही।
हड़ताल का कोरोना जांच पर भी असर
उपनल कर्मियों की हड़ताल का असर कोरोना जांच पर भी दिख रहा है। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में इस कारण सैंपलिंग कार्य बाधित हुआ है। सेंट्रल लैब में सैंपलिंग की व्यवस्था जरूर की गई, पर पहले की तुलना में अब नाममात्र ही सैंपल हो पा रहे हैं।
प्रदेश में कोरोना का ग्राफ पिछले कुछ वक्त में कम हुआ है। ऐसे में तमाम कॉलेज व विवि भी खुलने लगे हैं। अन्य राज्यों से आने वाले छात्रों को हॉस्टल या कॉलेज में एंट्री से पहले अपनी कोरोना रिपोर्ट दिखानी है। जिस पर दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी हर दिन जांच के लिए भारी भीड़ जुट रही है। अभी तक पुरानी बिलिंडिंग में सैंपलिंग की व्यवस्था थी और प्रतिदिन 250-300 सैंपल लिए जा रहे थे। पर उपनल कर्मियों की हड़ताल के कारण ये व्यवस्था भी लड़खड़ा गई है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अब सैंपलिंग का कार्य सीधा सेंट्रल लैब में किया जा रहा है। जिसमें सैंपल देने वाले की एंट्री भी मैन्युअली की जा रही है। इस नई व्यवस्था में सैंपलिंग का आंकड़ा पहले की तुलना में एक चौथाई ही रह गया है। बुधवार को भी केवल 50 ही सैंपल हो पाए। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि हड़ताल को देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था बनाई है। संभवत: हड़ताल को लेकर भ्रम है। देखा जाएगा कि सैंपल कम क्यों हुए हैं।