नई दिल्ली: कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस संक्रमण ने एक नई चिंता पैदा कर दी है। देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं। अब इस नए खतरे को देखकर मन में कई तरह के सवाल उठते हैं, जैसे- क्या कोविड से ठीक हो चुके लोगों को भी ब्लैक फंगस होने का खतरा है?
दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल के डॉ. राकेश कुमार कहते हैं, ‘पूरे देश में दो-ढाई करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित नहीं हुए हैं, लेकिन हमारे देश की जनसंख्या 135 करोड़ है और ज्यादातर लोगों को लग रहा है कि कहीं हमें कोरोना न हो जाए। इस डर से बाहर आना होगा, क्योंकि 80 से 90 प्रतिशत लोगों में बीमारी खुद ही ठीक हो जाती है। 10 से 20 प्रतिशत लोग हैं, जिन्हें अस्पताल या दवाओं की जरूरत होती है, 4-5 प्रतिशत लोग अस्पताल जाते हैं और आईसीयू में जाते हैं, जबकि एक प्रतिशत के करीब लोगों की मृत्यु हुई है। इसलिए डरने के बजाय कोरोना के खिलाफ जो हथियार हैं, उन्हें हमेशा अपने साथ रखें। इन हथियार में मास्क, सुरक्षित दूरी, हाथ साफ करना और वैक्सीन लगवाना है।’
डॉ. राकेश कुमार कहते हैं, ‘कई ऐसे मरीज होते हैं जो होम आइसोलेशन में ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन वो आईसीयू तक पहुंच जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि जब किसी को गले में हल्की खराश, बुखार या जुकाम होता है तो वह उसे नजरअंदाज करते हैं। वो मान लेते हैं कि हमें ये बीमारी हो ही नहीं सकती है। इसके अलावा कई लोग ऐसे होते हैं, अगर रिपोर्ट देर से आई या लक्षण के बाद भी निगेटिव आ गई है तो वह एकदम निश्चिंत हो जाते हैं। कुछ ऐसे लोग हैं, जो खुद से ही इलाज शुरू कर देते हैं, स्टेरॉयड लेने लगते हैं। इन वजह से उन्हें सही इलाज समय पर नहीं मिल पाता और कोरोना के लक्षण बढ़ जाते हैं।’
डॉ. राकेश कुमार कहते हैं, ‘इस समय पोस्ट कोविड में निगेटिव आने के बाद भी कई तरह के लक्षण वाले मरीज आ रहे हैं। उनमें सिर में दर्द, शरीर में दर्द, भारीपन, कमजोरी, भूख न लगना, नींद न आना, खांसी, सांस फूलना जैसे लक्षण आ रहे हैं और लोग घबराहट में तमाम तरह की जांच करा रहे हैं। लेकिन घबराएं नहीं, अपने खानपान का ध्यान रखें, प्रोटीन वाला खाना खाएं, खूब पानी पीएं। फेफड़ों को दुरुस्त रखने के लिए प्राणायाम करें। इससे धीरे-धीरे इम्यूनिटी बढ़ेगी और स्वस्थ हो जाएंगे। हालांकि, अगर बुखार है और ऑक्सीजन लेवल कम हो तो लक्षणों का ध्यान रखें।’
डॉ. राकेश कुमार कहते हैं, ‘दो तरह के मरीज होते हैं, एक स्वस्थ युवा हैं, जिन्हें कार्डियक की कोई बीमारी नहीं है, लेकिन उनमें कार्डियक के लक्षण हो सकते हैं। दूसरे वो हैं, जिन्हें कार्डियक की बीमारी है, डायबिटीज, हाइपरटेंशन या पहले से हार्ट की बीमारी है। इन्हें विशेष तौर पर ध्यान देना होगा कि सीने में दर्द हो, तेज धड़कन, सांस फूलना, छाती में भारीपन, घबराहट होना, पसीना आए तो ध्यान देना चाहिए, हो सकता है कि हार्ट पर असर हो रहा हो। कोविड बीमारी में अचानक से हार्ट रेट तेज होना या कम होना जैसे लक्षणों का लोगों को ध्यान रखना होगा। अगर कुछ भी परेशानी आए तो डॉक्टर से संपर्क करें।’
डॉ. राकेश कुमार कहते हैं, ‘ब्लैक फंगस होने का खतरा उन्हीं लोगों को ज्यादा होता है, जिन्हें डायबिटीज हो या लंबे समय तक स्टेरॉयड पर रहे हों, इम्यूनो थेरेपी चली हो, कैंसर के मरीज हों, कोई ट्रांसप्लांट हुआ हो। एक सामान्य व्यक्ति को जरूरी नहीं है कि ब्लैक फंगस हो जाए। इससे बचने के लिए साफ-सफाई रखें। ऐसी जगह पर न जाएं, जहां धूल, मिट्टी आदि हो। हालांकि जिनकी इम्यूनिटी ठीक है, उनमें ब्लैक फंगस के होने की संभावना कम है।’