नई दिल्ली। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। यह एक खगोलीय घटना है, लेकिन इसका वैज्ञानिक के साथ ही धार्मिक महत्व भी माना जाता है।
पंडित शरद चंद्र मिश्रा ने बताया कि 26 मई को लगने वाला ग्रहण खग्रास चंद्रग्रहण होगा। इस ग्रहण का स्पर्श भारतीय समय के अनुसार दिन में दोपहर बाद तीन बजकर 15 मिनट पर होगा, इसका मध्य शाम चार बजकर 49 मिनट एवं मोक्ष शाम छह बजकर 23 मिनट पर होगा। बताया कि इस ग्रहण के दौरान ऐसे परिस्थितियां बन रही हैं कि जिस समय ग्रहण का स्पर्श हो रहा है तथा मध्य समय रहेगा, उस समय आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देगा और जब भारत के पूर्वी क्षितीज पर चंद्रमा का बिम्ब दिखाई शुरू होगा, तब ग्रहण का मोक्ष हो जाएगा।
पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में इसका प्रभाव कुछ देर के लिए रहेगा, ऐसे में इसका सूतक मान्य नहीं होगा, लेकिन सावधानी बरतनी होगी।
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, ग्रहण शब्द ही नकारात्मक है। ज्योतिष के लिहाज से ग्रहण कहीं भी लगे, दिखाई दे या न दे, लेकिन उसका प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पड़ता है। ऐसे में ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य करने से बचें। भोजन न बनाएं। धारदार वस्तुओं का प्रयोग न करें। भगवान की प्रतिमाओं को हाथ न लगाएं। ग्रहण काल में सोना वर्जित माना जाता है। बालों में कंघी न करें। ग्रहण के समय दातुन न करें।
ज्योतिषाचार्य मनीष मोहन के अनुसार, ग्रहण के समय बिना भगवान को छुए मन में अपने ईष्ट देव की आराधना करें। ग्रहण लगने से पहले खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डालकर रख दें। ग्रहण की समाप्ति के बाद घर की सफाई कर खुद भी स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। स्नान के बाद आटा, चावल आदि खाद्य सामग्री जरूरतमंदों को दान करें।
पंडित बृजेश पांडेय अनुसार, गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान चाकू और कैंची का प्रयोग नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की घटना को देखने से भी बचना चाहिए। हो सके तो ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें। अगर आप ग्रहण देखती हैं तो गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक या मानसिक परेशानियां हो सकती हैं।