नई दिल्ली। वायरस के म्यूटेशन के कारण न सिर्फ लोगों में इस बार गंभीर लक्षण देखे जा रहे हैं, साथ ही पहली लहर की तुलना में इस बार मौत के आंकड़े भी अधिक रहे हैं। हालांकि पिछले कुछ दिनों से देश में कोविड के मामलों में कमी जरूरी देखी जा रही है, लेकिन ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के बढ़ते मामले अब भी चिंता का विषय बने हुए हैं। भारत में अबतक म्यूकोरमाइकोसिस के 11,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। गुजरात और महाराष्ट्र इससे सबसे प्रभावित राज्य हैं। कई राज्यों ने म्यूकोरमाइकोसिस को अधिसूचित महामारी घोषित कर दिया है।
हाल ही में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण के एक ऐसे कारक के बारे में बताया है जिसका कोरोना की दूसरी लहर में बहुत ज्यादा प्रयोग किया गया है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड-19 के इलाज के दौरान स्टेरॉयड का बहुत ज्यादा प्रयोग, लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना, ऑक्सीजन थेरेपी का उपयोग और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों को म्यूकोरमाइकोसिस के प्रमुख संभावित कारकों के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन के उपयोग को भी इसके एक कारण के रूप में देखा जा रहा है। आइए इस बारे में जानते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड के इलाज के लिए औद्योगिक ऑक्सीजन का उपयोग संभावित कारण हो सकता है। लोगों को मेडिकल और इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन में फर्क नहीं पता है, संभवत: इस कारण हुई चूक ने इतनी गंभीर समस्या को जन्म दे दिया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि मेडिकल ऑक्सीजन को बनाते समय इसे कई स्तरों पर फ़िल्टर किया जाता है। इससे फंगस को दूर रखने के लिए भी विभिन्न उपाय किए जाते हैं। जबकि औद्योगिक ऑक्सीजन का उत्पादन करते समय इतने चरणों की आवश्यकता नहीं होती है। दोनों तरह के ऑक्सीजन का उपयोग भिन्न होता है। औद्योगिक ऑक्सीजन को ट्रकों और वैन से ले जाया जाता है, इस दौरान स्वच्छता का ध्यान भी नहीं रखा जाता होगा, संभवत: इस वजहों से ब्लैक फंगस के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि ह्यूमिडिफायर में इस्तेमाल होने वाले पानी के कारण भी फंगल संक्रमण हो सकता है। जारी प्रोटोकॉल के मुताबिक इसमें साफ पानी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, साथ ही समय-समय पर इस पानी को बदलते रहना भी जरूरी होता है। विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि मरीजों द्वारा इस्तेमाल कैनुला और ऑक्सीजन मास्क को फेंक देना चाहिए, इसका अन्य लोगों द्वारा उपयोग भी नुकसानदायक हो सकता है।