अनिल अनूप
आज जब आप आसमान में विमान की गर्जनाएं सुनें, तो समझिए कि राफेल भारत में आ चुका है। फ्रांस का अतुलनीय, अचूक और आधुनिक पीढ़ी का लड़ाकू विमान अब हिंदुस्तान को भी हासिल है। बेशक एक बहुत बड़ी और राष्ट्रीय उपलब्धि है, जिसे हमारे वायुवीरों का ‘ब्रह्मास्त्र’ माना जा रहा है। हमारे आसमान और थलसेना का एक साथ अभेद्य ‘सुरक्षा-कवच’ है यह। करीब 7364 किलोमीटर की दूरी तय कर पांच राफेल विमान अब हमारे अंबाला छावनी वायुसेना स्टेशन में मौजूद हैं। हिंदुस्तान के वायुसैनिकों के पास ऐसा अस्त्र है, जिसके जरिए अपनी सीमा में रहते हुए ही हमारे रणबांकुरे सीमापार के दुश्मनों पर आक्रमण कर सकेंगे और लक्ष्य को तबाह कर सकेंगे।
राफेल विमान के रडार इतने सक्षम हैं कि 280 किलोमीटर तक टै्रक कर सकते हैं कि कोई विमान या मिसाइल प्रहार करने को हमारी तरफ बढ़ तो नहीं रहे! उन्हें रास्ते में ही नेस्तनाबूद किया जा सकता है। राफेल में मिटियॉर, स्कैल्प और हैमर, एमराम आदि बेहद घातक, विध्वंसक मिसाइलें फिट हैं, जो 50-60 से 300-400 किलोमीटर तक अचूक लक्ष्य पर हमला करके उसे ‘मलबा’ बना सकती हैं। बेशक निशाना हवा से हवा अथवा हवा से जमीन या पहाडि़यों, बंकरों पर साधना हो, राफेल की मिसाइलें तबाही से नहीं भटकती हैं। यकीनन भारत की वायुसेना को ऐसी शक्ति हासिल हुई है, जो परमाणु हथियार ले जाने और परमाणु हमला करने में भी सक्षम है। राफेल विमान 26,000 किलोग्राम तक सामान लेकर उड़ान भर सकता है। करिश्मा ऐसा है कि 100 किमी. के दायरे में 40 टारगेट्स पर एकसाथ निशाना लगा सकता है और सभी को भून कर भस्म भी कर सकता है। राफेल औसतन एक मिनट में 2500 फायर करने की क्षमता भी रखता है। इस ‘ब्रह्मास्त्र’ का वर्णन किसी महाकाव्य से कम नहीं है। भारत सरकार और सेना का राफेल खरीदने का निर्णय लाजवाब रहा है। अब इस क्षेत्र में भारत को फ्रांस की अधुनातन प्रौद्योगिकी भी हासिल होगी और ‘मिराज-2000’ सरीखे लड़ाकू विमानों का आधुनिकीकरण भी हो सकेगा। हालांकि ये विमान कई साल पहले भारत की सरजमीं पर उतर आने चाहिए थे, लेकिन राजनीति की अंधी आंखें देश की सुरक्षा और हितों को देख नहीं सकीं। आप को याद होगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में राफेल सौदे पर भ्रष्टाचार और चोरी के कितने संगीन आरोप चस्पां किए गए थे।
देश के प्रधानमंत्री तक को ‘चोर’ करार दिया गया था, लेकिन जनता ने उन आरोपों को खारिज कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने भी मामले को रद्द कर दिया। नतीजतन आज देश की रणनीति साकार हो रही है कि राफेल लड़ाकू विमान अब हिंदुस्तान का भी है। ऐसे 36 विमान 2021 के समापन से पहले हमारे पास होंगे। फिलहाल पांच विमान भारत आए हैं और उन्हें भारतीय पायलट ही उड़ा कर लाए हैं। शेष पांच विमान फ्रांस में ही टे्रनिंग करा रहे हैं। आज हमारे पास 15-17 प्रशिक्षित पायलट हैं, जो राफेल उड़ा सकते हैं और युद्ध के मोर्चे पर भी ले जा सकते हैं, लेकिन बहुत जल्द पायलटों की संख्या 27 तक पहुंच सकती है। यदि लद्दाख जैसे पहाड़ी क्षेत्र में उभरे और पसरे तनाव और सैन्य टकराव को देखें, तो राफेल वाकई ‘ब्रह्मास्त्र’ साबित हो सकता है। राफेल पहाड़ी इलाकों में भी कारगर है और निचली उड़ान भी भर सकता है, जबकि राफेल के समकालीन विमानों में यह इतना संभव नहीं है। चीन का जे-20 लड़ाकू विमान तो ‘सफेद हाथी’ है। वह काफी भारी विमान है, जो हरेक युद्धक्षेत्र में नहीं उतर सकता। उसके इंजन में भी समस्याएं देखी जाती रही हैं। जे-20 की अभी तक किसी युद्ध में आजमाइश नहीं हुई है, जबकि राफेल अफगानिस्तान, लीबिया, सीरिया, इराक और माली में अपनी युद्ध-क्षमता साबित कर चुका है। बहरहाल राफेल विमान में इतनी खूबियां हैं कि एक आलेख में उनका खुलासा संभव नहीं है। फिर भी इसका जिक्र जरूरी है कि राफेल का पायलट, बिना गर्दन इधर-उधर घुमाए ही, चारों तरफ देख सकता है और लक्ष्य भेद सकता है। यह विमान आवाज की गति से भी बहुत तेज है। बहुत जल्द ही राफेल को मोर्चों पर तैनात किया जा सकता है। हालांकि अगस्त के दूसरे सप्ताह में इसे औपचारिक तौर पर वायुसेना में शामिल किया जा सकता है। राफेल जय हो! राफेल जयहिंद!