अनिल अनूप
भारत में विजय भी यह फैसला नहीं कर पा रही कि वह किस करवट बैठे। दरअसल हर कोई देश के लिए जीतना चाह रहा है, बल्कि यह कहें कि हर जीत में अब देश है। ऐसे में देश की जीत के सामने प्रशांत भूषण जैसे वकील की औकात तो उसको हराने में समाहित थी, लिहाजा एक रुपए का जुर्माना भी काफी था। समझ में यह नहीं आ रहा कि जुर्माने की औकात एक रुपए तक गिर क्यों गई? जुर्माना भी अब नोटबंदी की तरह शरमा रहा है कि कहीं किसी दिन अचानक भरे बाजार से छीन न लिया जाए। देश के रुपए-रुपए में फर्क और असर है और कहीं-कहीं तो इसी की वजह से देश जीतता हुआ दिखाई देता है। शायद इसीलिए प्रशांत भूषण पर जुर्माना जायज भी है, लेकिन हमारे लिए यह समझना मुश्किल है कि आखिर सिक्का उछालने का अर्थ अब अदालती कैसे हो गया? फैसलों में कभी ‘हैड’ तो कभी ‘टेल’ जीत रही है। सारे देश में जो सिक्का चल रहा है, वही अब अदालत में भी पहुंचने लगा है। दरअसल हर तरह के सिक्के को मालूम है कि चलना कैसे है। यह जादू केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भी है, इसलिए जो कोई हमारे आसपास जीत रहा है, उस पर उनके भगवान का भरोसा बढ़ रहा है। दरअसल यही ‘एक्ट ऑफ गॉड’ है जो केंद्रीय सरकार को कुछ करने से रोक रहा है, वरना क्या मजाल जो जीडीपी दर अपने न्यूनतम यानी माइनस 23.9 प्रतिशत की दर पर खुश होती। सीतारमण जी पहली ऐसी सफल वित्त मंत्री हैं जो अपने विभाग को ‘खुदा भरोसे’ चला रही हैं, फिर भी उन्हें मालूम है कि दुनिया में जो आया है, इसके पीछे ‘एक्ट ऑफ गॉड’ ही है। इसीलिए नोटबंदी को ‘एक्ट ऑफ गॉड’ के नजरिए से देखेंगे, तो गीता का सार समझ आएगा और तब कह उठेंगे, क्या लेकर आए थे और क्या लेकर जाएंगे। वास्तव में देश को पहली ऐसी वित्त मंत्री मिली जिसने बता दिया कि भारत में मोह-माया त्यागने का वक्त आ गया है, बल्कि हर ओहदे पर अब इनसान नहीं स्वयं भगवान आ गए हैं। भगवान ने ही सजा देनी शुरू की है। अदालत से सड़क तक। कोरोना में इनसान को मिल रही मौत वास्तव में ‘एक्ट ऑफ गॉड’ ही तो है। यही भगवान हम जैसे इनसानों के बीच से कैसे नेताओं को चुन लेता है, यह केंद्रीय वित्त मंत्री को देखकर अंदाजा हो जाता है। अब तो भरोसा करो कि देश में कितने लोग वास्तव में ‘एक्ट ऑफ गॉड’ के कारण दिखाई दे रहे हैं। अब तो हद हो गई। कोरोना काल में हर कोई इसी सिद्धांत में जी रहा है। टमाटर का दाम पूछ कर दुकानदार से बहस करने वाला ही था कि वित्त मंत्री की अमृतवाणी याद आ गई। अब तो आश्चर्य होने लगा है कि खाड़ी से आए कच्चे तेल पर अपने देश में ‘एक्ट ऑफ गॉड’ कारगर होने लगा है। यह भगवान का रंग है कि जिस पेट्रोलियम की सारे विश्व में कोई कीमत नहीं बची, अपने यहां ‘एक्ट ऑफ गॉड’ के कारण लगातार अपने पैसे वसूल रहा है। वास्तव में भारत ही अब ऐसा देश बचा है जहां ‘एक्ट ऑफ गॉड’ के कारण हम सदैव जिंदा दिखाई देंगे, भले ही अंदर कोई हमारा रक्त चूस ले।