- मध्य प्रदेश में पिछले एक सप्ताह से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार संकट के दौर से गुजर रही है
- सिंधिया के समर्थक 17 विधायकों के सोमवार को लापता होने के बाद से संकट और गहरा गया था
- सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, इसके अलावा 22 MLA का भी इस्तीफा
- सिंधिया ने कहा वे जनसेवा के लिए राजनीति में आए हैं और कुछ समय से कांग्रेस में रहते हुए ऐसा नहीं कर पा रहे थे
- कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक के बाद CM कमलनाथ का दावा
- बोले- अभी भी बहुमत उनके पास है, कार्यकाल पूरा करेगी उनकी सरकार
- बीजेपी अपने विधायकों को भोपाल से हरियाणा शिफ्ट करने में जुटी
- सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी को अपने विधायकों के टूटने का है डर।
सुखविंदर सिंह की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश में जारी सियासी ड्रामे के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दावा किया है कि उनके पास बहुमत है। पत्रकारों से बातचीत में कमलनाथ ने मंगलवार शाम को कहा, ‘घबराने की जरूरत नहीं है, हम बहुमत साबित करेंगे। हमारी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। जिन लोगों को इन लोगों ने कैद करके रखा है वे मेरे संपर्क में हैं।’ सीएम कमलनाथ के इस बयान के बाद कांग्रेस खेमा ऐक्टिव होता हुआ दिख रहा है। दिल्ली से मुकुल वासनिक, दीपक बावरिया और हरीश रावत को भोपाल भेजा गया है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने इन तीनों नेताओं को मध्य प्रदेश के राजनीतिक हालात सामान्य करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
बीजेपी के नेता गोपाल भार्गव की ओर से कांग्रेस के इस्तीफा देने वाले 19 विधायकों की लिस्ट स्पीकर को सौंपे जाने के बाद सीएम कमलनाथ ने बैठक बुलाई थी। इस बैठक में कांग्रेस के 94 से ज्यादा विधायकों के पहुंचने का दावा किया जा रहा है। इस बैठक से निकले कांग्रेस विधायक आश्वस्त भी दिखे। इधर, बीजेपी को टूट का डर दिख रहा है, शायद तभी उसने अपने सभी विधायकों को मध्य प्रदेश से दिल्ली शिफ्ट करने का प्लान बनाया है। रातोंरात बीजेपी के विधायक भोपाल से रवाना हो गए हैं।
बैठक के बाद कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने दावा किया कि विधायकों को कहा गया था ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा चुनाव का टिकट दिलाना है इसलिए आपलोग उनके समर्थन में हस्ताक्षर कीजिए। इसी बहाने से कराए हस्ताक्षर के कागज को विधायकों के इस्तीफे के रूप में पेश किया गया है। उन्होंने बताया कि सीएम कमलनाथ ने सभी विधायकों से कहा है कि वे निर्भीक रहें और विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान एकजुट होकर वोट करें।
शोभा ओझा ने कहा कि जबतक कोई विधायक खुद से इस्तीफा पत्र लिखकर स्पीकर को नहीं सौंपता है तब तक उसे नहीं माना जाएगा। वहीं 19 विधायकों का इस्तीफा पत्र मिलने के बाद विधानसभा के स्पीकर एनपी प्रजापति ने कहा है कि वह विधानसभा के नियमों के अनुकूल ही कोई फैसला लेंगे।