परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली। नये कृषि कानूनों के विरुद्ध चल रहे प्रदर्शनों को लेकर बने गतिरोध को तोड़ने की कोशिश में शनिवार को केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच पांचवें दौर की बातचीत बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। इस दौरान किसानों ने साफ कर दिया है कि वे अपनी मांगों से टस से मस नहीं होंगे। अब नौ दिसंबर को सुबह 11 बजे फिर सरकार और किसान नेताओं की बातचीत होगी। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने कहा है कि वे हमें नौ दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेंगे। हम (किसान) आपस में इस पर चर्चा करेंगे, जिसके बाद उसी दिन उनके साथ बैठक होगी। वहीं, किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि हम कानून रद्द करा कर ही मानेंगे। इससे कम पर हम मानने वाले नहीं हैं। किसान सरकार से अब हां या ना में जवाब चाह रहे हैं। शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में पांचवें दौर की वार्ता के दौरान किसान नेता शांत बैठ गए थे और मंत्री आपस में बात करने के लिए बाहर चले गए थे।
किसान संगठन के नेता बैठक में मंत्रियों के सामने यस या नो प्ले कार्ड लेकर बैठ गए। किसान संगठनों ने सरकार से कहा कि हमारे पास एक साल की सामग्री है। सरकार को तय करना है, वो क्या चाहती है। किसान नेताओं ने सरकार से कहा कि आप बता दीजिए कि आप हमारी मांग पूरी करेंगे या नहीं। वार्ता के दौरान किसान नेता सरकार से बेहद नाराज नजर आए। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार हमारी मांगों पर फैसला ले, नहीं तो हम बैठक से जा रहे हैं। किसानों संगठनों के नेताओं ने बैठक में कनाडा के प्रधानमंत्री के बयान का हवाला दिया।
किसान नेताओं ने कहा कि नए कृषि कानूनों पर कनाडा के प्रधानमंत्री और वहां की संसद चर्चा कर रही है, लेकिन हमारी सरकार हमारी बात को नहीं सुन रही। किसान संगठनों ने बैठक में कहा कि हम सरकार से चर्चा नहीं, ठोस जवाब चाहते हैं, वे भी लिखित में। अब तक बहुत चर्चा हो चुकी है। बैठक में सरकार ने कहा कि कानून रद्द करने के अलावा कोई और रास्ता निकाला जाए। सरकार की तरफ से संशोधन की बात रखी गई, वहीं, दूसरी तरफ किसान नेता कृषि कानून रद्द कराने पर अड़े रहे। सरकार ने संशोधन का प्रस्ताव दिया, जिसे किसान नेताओं ने ठुकरा दिया। उधर, भारत बंद पर केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि उनके अपने कार्यक्रम हैं, मैं उनपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। मैं सभी यूनियनों, किसान नेताओं से कहना चाहता हूं कि आंदोलन का रास्ता छोड़ चर्चा के रास्ते पर आएं। भारत सरकार कई दौर की चर्चा कर चुकी है और समाधान के लिए आगे भी चर्चा करने को तैयार है।
पांच वाम दलों का भारत बंद को समर्थन
पांच वामदलों ने कृषि कानून के विरोध में आठ दिसंबर के ‘भारत बंद’ को सफल बनाने के लिए सभी राजनीतिक दलों और संगठनों का आह्वान किया है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा (माले) फॉरवर्ड ब्लॉक और ऑल इंडिया सोशलिस्ट पार्टी ने शनिवार को यह ऐलान किया।
यूएन पहुंची किसान आंदोलन की गूंज
केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन की चर्चा कनाडा, ब्रिटेन के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ में भी होने लगी है। भारत की ओर से इसे घरेलू मुद्दा बताकर विदेशी नेताओं को इसमें हस्तक्षेप न करने की नसीहत के बावजूद पहले कनाडा के पीएम ने अपनी बात दोहरा दी, फिर ब्रिटेन के कुछ सांसदों से अपनी सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है, तो अब संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस के प्रवक्ता ने कहा है कि किसानों को शांति से प्रदर्शन करने का आधिकार है और उन्हें ऐसा करने दिया जाए।
बच्चों-बुजुर्गों को घर भेजें
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सर्दी का सीजन है, कोविड का संकट है, इसलिए जो बुजुर्ग और बच्चे हैं, उन्हें अगर यूनियन के नेता घर भेज देंगे, तो वे सुविधा से रह सकेंगे। उन्होंने कहा कि हम आश्वस्त करना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध थी, है और रहेगी।
सरकार ने संकट में धकेल दिए किसान
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि बिहार में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य के बिना परेशान है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश के किसानों को ही इस संकट में धकेल दिया है। श्री गांधी ने शनिवार को कहा कि बिहार का किसान एमएसपी-एपीएमसी के बिना बेहद मुसीबत में है और अब प्रधानमंत्री ने पूरे देश को इसी कुएं में धकेल दिया है।