प्रेग्नेंसी में जितना जोर अच्छी डाइट पर दिया जाता है उतना ही ध्यान अगर एक्सरसाइज पर भी दिया जाए तो होने वाला बच्चा कई तरह की बीमारियों से बचा रह सकता है। तो अगर आप भी फैमिली प्लान कर रही हैं या प्रेग्नेंट हैं तो आराम करने के साथ-साथ कुछ वक्त एक्सरसाइज के लिए जरूर निकालें। महज 15-20 का व्यायाम ही काफी होगा। इससे जुड़ी एक रिसर्च भी सामने आई है। जिसके बारे में जानेंगे।
चुहिया पर की गई रिसर्च
लैब में चुहिए पर की गई रिसर्च में पाया गया कि प्रेग्नेंसी के समय किसी भी तरह का वर्कआउट बच्चे को बीमारियों से दूर रखता है। अगर यह परिणाम इंसानों के लिए भी सच हो तो इसका व्यापक असर होगा, जिससे प्रेग्नेंट लेडीज़ अपने बच्चों को एक हेल्दी लाइफ दे सकती हैं।
गर्भ से होती है बीमारी की शुरुआत
यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया स्कूल ऑफ मेडिसीन के एक्सरसाइज एक्सपर्ट व रिसर्चर झेन यान कहते हैं, आज हम जिन ज्यादातर क्रॉनिक बीमारियों की बात करते हैं, उनकी उत्पत्ति गर्भ में ही होती है। वैसे भी कहा जाता है कि गर्भावस्था के पहले या उस दौरान महिलाओं के कमजोर स्वास्थ्य का गर्भस्थ शिशुओं पर नकारात्मक असर होता है। ऐसा जीन में रासायनिक बदलाव के कारण होता है।
रुक सकते हैं रोग
– चुहिया पर पहले की गई रिसर्च से इस बात की जानकारी मिली कि मोटापे की शिकार मां के गर्भावस्था के दौरान रोजाना एक्सरसाइज से बच्चे में डायबिटीज को रोका जा सकता है।
– रिसर्च में सवाल था कि क्या प्रेग्नेंसी में सिर्फ मोटापे की शिकार मां को ही एक्सरसाइज की जरूरत है अगर पिता भी इससे परेशान हो।
– वैज्ञानिकों को यह तो पता था कि प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी बच्चे को हेल्दी रखती है और प्रसव के खतरे को भी कम करती है।
– लेकिन शोधकर्ता झेन यान और उनके सहयोगी यह जानना चाहते थे कि क्या एक्सरसाइज का असर जिंदगीभर मिलेगा? पुरानी और नई रिसर्च में इस बात का संकेत मिला है कि ये पॉसिबल है।
ऐसे हुई रिसर्च
रिसर्च के दौरान यान और उनके सहयोगियों ने चुहिया और उसके बच्चे पर स्टडी किया, जिसमें कुछ व्यस्क चुहिया को सामान्य कार्बोहाइड्रेट वाला खाना दिया गया, जबकि कुछ को मोटापा बढ़ाने वालेहाई फैट और कैलोरी वाला भोजन दिया गया।
देखा गया कि हाई फैट डायट लेने वाली कुछ चुहिया गर्भावस्था में अपनी मर्जी से रनिंग व्हील पर जाती थी और कुछ बिल्कुल भी नहीं।
इस रिसर्च के नतीजों का विश्लेषण करने पर पाया गया कि हाई फैट लेने वाले माता-पिता के बच्चों में डाइजेशन संबंधी गड़बड़ियों की ज्यादा आशंका थी।
हाई फैट डायट लेकर फिजिकल एक्टिविटी नहीं करने वाली माताओं के पुरुष बच्चों में बड़े होने पर हाई ब्लड शुगर और चयापचय की समस्याएं होने की संभावना ज्यादा थी।
आगे के शोध में पाया गया कि विभिन्न समूहों के बच्चों में माता-पिता के मोटापे का बच्चों पर नकारात्मक असर होता है, जो जीवनभर बना रहता है।