जीका वायरस का संक्रमण एयरोसोल या संपर्क में आने से नहीं फैलता है और न ही इस वक्त प्रमुख चिंता का कारण है. ये कहना है कि दिल्ली में सेंट स्टीफन अस्पताल के पूर्व डायरेक्टर और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर मैथ्यू वर्गीज का. हालांकि, उन्होंने चेताया कि महामारी रोग वैज्ञानिक और राज्य के स्वास्थ्य को वायरस के फिर से सामने आने के बारे में चिंतित होना चाहिए. गौरतलब है कि केरल में संक्रमण के 14 मामले सामने आ चुके हैं.
‘जीका वायरस संपर्क या एयरोसोल से नहीं फैलता है’
उन्होंने कहा, “जीका वायरस एयरोसेल या संपर्क से नहीं फैलता है. ये मच्छर के काटने से फैलता है. ये अलग महामारी रोग विज्ञान है. मैं उसके बारे में इस समय चिंता नहीं है. महामारी रोग वैज्ञानिक और केरल के स्वास्थ्य विभाग को चिंतित होना चाहिए कि जीका कहीं से आ गया है, और मच्छरों और वायरस को नियंत्रित करने का रास्ता पा लिया है. हमें लोगों के बीच दहशत का माहौल नहीं पैदा करना चाहिए.”
राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को बताया कि केरल में जीका वायरस के 14 मामले उजागर हुए हैं. उन्होंने उसके रोकथाम की जानकारी देते हुए कहा कि कार्य योजना बनाई गई है. सभी जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है, विशेषकर प्रेगनेन्ट महिला के लिए, जिसके मच्छर -जनित वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का अनुकूल व्यवहार अपनाने पर जोर
देश में वायरस के तेज गति से म्यूटेशन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “ये वायरस के लिए म्यूटेट होना सामान्य है . वायरस बदलते रहते हैं. ये सामान्य प्रक्रिया है, असामान्य नहीं है. वातावरण में विभिन्न प्रकार के वेरिएन्ट्स के लिए तैयार और सावधान रहना होगा.” डॉक्टर वर्गीज ने कहा कि लंबाई और सावधानी की सीमा महत्वपूर्ण है.
हिल स्टेशन और पर्यटन स्थलों पर महामारी के बीच पिछले कुछ दिनों में उमड़ी भीड़ पर वर्गीज का कहना है कि लोगों को पर्यटन स्थलों पर खुली जगह में जाने की इजाजत मिलनी चाहिए लेकिन उनको कोविड-19 के अनुकूल व्यवहार का सख्ती से पालन करना चाहिए. उसमें मास्क पहनना, सामाजिक दूरी और अन्य सुरक्षित तरीकों को अपनाना शामिल है.”