आत्माराम त्रिपाठी की खास रिपोर्ट
अब तक इंसान ही महामारी कोरोनावायरस की चपेट में पिस रहे थे अब बेजुबान जानवरों को भी काल ने ग्रास बनाना शुरू कर दिया है। न जाने कौन सी घड़ी आ गई है कि जड़ चेतन को अपने अस्तित्व का खतरा महसूस होने ही नहीं लगा बल्कि इस खतरे के तांडव ने संपूर्ण विश्व में महामारी का रूप धारण कर हाहाकार मचा दिया है।
उत्तर प्रदेश के संभल जिले के एक गांव में पिछले दो दिनों में रहस्यमय बीमारी से 16 बंदरों की मौत से ग्रामीणों में हड़कंप मचा है। पशु चिकित्सा विभाग और वन विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर जांच पड़ताल की और मृत बंदर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। वहीं, गांव वालों को डर है कि बंदरों की मौत की वजह कहीं कोरोनावायरस न हो, क्योंकि इस सप्ताह कोरोना वायरस से अमेरिका के ब्रूक्स चिड़ियाघर में एक बाघ की मौत हो गई थी।
संभल के पंवासा में मंगलवार को एक बंदर की मौत हो गई, जबकि कई बंदर बेहोशी की हालत में मिले। गांव में सोमवार को भी 15 बंदरों की अचानक मौत हुई थी। पशु चिकित्सकों की टीम मंगलवार को गांव पहुंची और बेहोश मिले बंदरों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया। बेहोश मिले अधिकांश बंदरों के शरीर का तापमान काफी कम था और उनके नाक से बलगम निकल रहा था। सूचना पर गांव में वन विभाग की टीम पहुंची। पशु चिकित्सकों की टीम ने मृत बंदर के शव को बरेली पोस्टमार्टम को भेज दिया।
पवांसा के पशु चिकित्साधिकारी डॉक्टर नीरज गौतम ने बताया कि बंदरों के नाक से बलगम आ रहा है और उनके शरीर का तापमान भी काफी कम है। जंगली जानवरों का पोस्टमार्टम बरेली में होता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर ही मौत का कारण स्पष्ट होगा, लेकिन ऐसा भी प्रतीत हो रहा है कि किसानों द्वारा मेंथा की फसल में किए गए कीटनाशक के स्प्रे से बंदरों की हालत बिगड़ी है।