राजा कुमार साह की रिपोर्ट
पटना। विश्व में महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए आम और खास तक अब एक-दूसरे को सहयोग दे रहे हैं। इसे लेकर बिहार की जीविका दीदियों ने भी मदद का हाथ बढ़ाया और अपने परिश्रम से आम से लेकर खास तक के लोगों तक मास्क पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। जीविका की महिलाओं ने अब तक 5. 85 लाख से ज्यादा मास्क बना चुकी हैं।
जीविका से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि बिहार रूरल लाइवलिहुड प्रोजेक्ट (जीविका) के तहत महिलाओं द्वारा राज्य के सभी जिलों में मास्क तैयार करवाया जा रहा है।
जीविका की अधिकारी महुआ राय ने कहा, “स्वयं सहायता समूहों ने कुछ ही दिनों में 5़50 लाख से अधिक मास्क बना दिए हैं, जिसे उचित मूल्य पर बेचने के लिए बाजार में भेजा गया है। राज्य की 1276 समूहों द्वारा यह काम किया जा रहा है। गुरुवार तक राज्य में 5 लाख 88 हजार 331 मास्क बनाए जा चुके हैं।”
उन्होंने कहा, “हमलोगों का प्रयास है कि बिना मास्क के घर से कोई बाहर नहीं निकले। मास्क निर्माण के काम को शुरू करने से लॉकडाउन में बेरोजगार बैठे जीविका समूह के लिए स्वरोजगार का एक माध्यम मिल गया है। उनके लिए आय का साधन भी मिल गया है।”
एक अधिकारी ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि गुरुवार तक सबसे छोटे शेखपुरा जिले में 68,902, पटना जिले में 40,017, अररिया में 5,439, मधुबनी में 53,785, औरंगाबाद में 28,815 मास्क बनाए गए हैं। नालंदा में भले ही काफी विलंब से काम शुरू हुआ, लेकिन यहां की महिलाओं ने भी अब तक 28,914 मास्क बना चुके हैं।
गया जिले में 24,579 तथा पूर्वी चंपारण में 58,500 मास्क बनाए गए। पटना जिले के बाढ़, बेलछी घोसवरी, मोकामा, बिहटा, मनेर, नौबतपुर और फुलवारीशरीफ में जीविका समूह के द्वारा मास्क बनाने का काम चल रहा है।
सबसे गौरतलब बात है कि निर्माणस्थलों पर सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। मास्क की बढ़िया गुणवत्ता को देखकर साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने अपने कर्मियों ने भी यहां के मास्क खरीदे हैं। बैंक और कई स्वयंसेवी संस्थान भी यहां के मास्क खरीदकर उपयोग कर रहे हैं।
गया जिले के एक स्वयं सहायता समूह की महिला जयवंती ने कहा कि विभिन्न समूहों की महिलाओं द्वारा मास्क बनाए जा रहे हैं। महिलाओं द्वारा तैयार मास्क को बाजार में बेचा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मास्क बनाने में जिंदापुर, शेखवारा, कोलहौरा, मोचारीम सहित लगभग 20 गांव की महिलाएं जुटी हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन एक हजार मास्क बनाया जा रहा है। कोरोना वायरस के कारण यह गया, बोधगया के बाजार में आसानी से बिक रहा है।
उल्लेखनीय है कि जीविका समूह को मास्क बनाने की सामग्री एवं संबंधित कच्चा माल की आपूर्ति कराई जा रही है। स्थानीय स्तर पर खपत पर अधिक जोर दिया गया है। सरकार के इस पहल से जहां राज्य में मास्क की कमी को काफी हद तक दूर कर सकी है, वहीं कई इलाकों में इस लॉकडाउन में घरों तक भी मास्क आसानी से पहुंच जा रहा है।