नवीन जोशी’नवल’
अभी सब जीवन बचाएं,
फिर विजय का गान होगा,
समझ लेंगे सृष्टि का,
फिर से नया निर्माण होगा !!
शील, संयम, सजग, नव-
संकल्प ले आगे बढ़ें हम,
भूल जायें अब सकल सुख-
चैन हो या हो विगत गम !
बढ़ेंगे संघर्ष-साहस से,
अगर हम प्रगति पथ पर,
सहजता से ही सुगम
होंगे, सदा ही मार्ग दुर्गम !
धैर्य धारे जो अभी,
जीवन उसी का त्राण होगा,
समझ लेंगे सृष्टि का,
फिर से नया निर्माण होगा !!
सफर अब फिर से सभी का,
शून्य से प्रारंभ होगा,
कुशल जो जीवन रहे तब,
ईष्ट का अवलंब होगा !
किन्तु छू लेंगे शिखर फिर,
करेंगे श्रम-साधना भी,
मान लेंगे उपनयन और
पुनः वेदारम्भ होगा !
फिर पुरातन देह में ही,
नव प्रतिष्ठित प्राण होगा,
समझ लेंगे सृष्टि का,
फिर से नया निर्माण होगा !!
कष्ट भी आयेंगे लेकिन,
मुस्कुरा कर झेल लेंगे,
प्रखर ऊर्जा, श्रम सहित
इस प्रकृति का आदर करेंगे !
जगमगायेगी भरत-भू की-
विभा फिर गगनमंडल,
कठिन तप से विश्वभर को
एक नया सन्देश देंगे !
संकटों को ध्वस्त कर फिर
विजय-पथ प्रयाण होगा,
समझ लेंगे सृष्टि का,
फिर से नया निर्माण होगा !!
नहीं है कुछ चाह सिंहासन,
न कोई भव्य रथ की,
कामना करते सदा हम,
सब जगत के मनोरथ की !
कष्ट को अवसर बना सब,
विश्व का मंगल करेंगे,
राह हमने सदा ही,
जग को दिखाई प्रगति पथ की !
फिर नवल भेरी बजेगी,
विश्व का कल्याण होगा,
समझ लेंगे सृष्टि का,
फिर से नया निर्माण होगा !!