हंसराज हंस
दीपावली के बाद, करते है सब गोवर्धन पुजा।
सब इसका गूढ़ार्थ समझे,तब आयगा बहुत मजा।
श्री कृष्ण ने पुजा करके,गौ,बैल, प्रकृति का महत्व समझाया।
पर मानव ने केवल एक दिन ही, पुजा करके अपना धर्म निभाया।
बैलपालन से सबको हो गया एतराज, गायें भी है दुर्दशा की शिकार।
प्रकृति,पर्यावरण मे हो गया असंतुलन, जिसके कारण ही पैदा हो रहे है विकार।
गोवर्धन पूजा मे गायब है बैल, टेक्टर पर करते है मंत्रोंच्चार।
गाय नही,गोबर नही,रस्म निभाने हेतु करते है नाना उपचार।
मानव हो गया बड़ा स्वार्थी,खुद नही पालते है गाय और बैल।
गोवर्धन,बिछारस आदि पर्वो पर,मन मे रहता है मैल।
गोवर्धन ने बचाया था, पुरे गोकुल प्रदेश को।
भगवान कृष्ण ने दिया था,हमको यह संदेश।
गोवर्धन ही है खैवनहार, इसको समृद्ध करते रहना सदा।
पर मानव ने इनको रस्म बना दिया, करके पुजा यदा-कदा।
प्रकृति संवर्धन करना हो गया जरूरी,जब ही बच पायेगा जीवन चक्र।
त्यौंहारों का मर्म समझना ही होगा, नही तो कोरोना जैसे आते रहेगे कालचक्र।