• प्रमोद दीक्षित मलय
तुम जीवन का उत्साह प्रबल, मेरी श्वांस हो तुम।
प्रेम का उत्कर्ष नवल, अनंत विश्वास हो तुम।
तुमको लगता होगा दूर चली गई हो मुझसे,
हृदय में बसी हुई हो, यहीं आसपास हो तुम
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प्रेम सरिता जल से भींगे हम दो किनारे हैं।
मिलन सम्भव है नहीं बस भाव ही सहारे हैं।
उर में खिला रहेगा सर्वदा उपवन सुवासित,
पावन प्रेम से प्रकाशित गगन के सितारे हैं।।
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रो रो कर नहीं कटते जिंदगी के फासले।
हम जियेंगे साथ ही जब तक है इक सांस रे।।
मोम सा दिल उनका वेदना से है भर गया।
बांट लेते पीर उनकी यदि होते पास रे।
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शिक्षक, बांदा (उ.प्र.)
मोबा. 94520-85234