तालिबान इन दिनों सभी की बहस का मुद्दा बना हुआ है हर देश में तालिबानी और तालिबान की नई नीतियों को समझने की कोशिश जारी है मगर इस बात को तालिबान ने बिल्कुल साफ कर दिया है कि वह अपने मुल्क के आंतरिक मामलों में किसी भी देश का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा इस मुद्दे पर बात करते हुए तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सुहैल शाहीन ने सोमवार को सीएनएन-न्यूज 18 को बताया कि मौजूदा अफगानिस्तान सरकार एक अस्थायी सरकार है.ये सरकार लोगों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए ‘तात्कालिकता’ के तहत बनाई गई हैै
एक इंटरव्यू में तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सुहैल शाहीन ने तालिबान के सह-संस्थापक और नए उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की कथित ‘हत्या’, अफगान महिलाओं के अधिकारों और सरकार में पाकिस्तान के ‘हस्तक्षेप’ के रिपोर्ट्स पर खुलकर बात की.
यहां इस इंटरव्यू के खास अंश:-
मुल्ला बरादर की हत्या के बारे में बहुत सारी अफवाहें हैं. प्रतिष्ठित चैनलों की ओर से वीडियो और स्क्रीनशॉट पोस्ट किए जा रहे हैं. उस पर आपका क्या विचार है?
[ans]वे अफवाहें हैं, मैंने उनसे संपर्क किया है और वह यात्रा पर हैं. बरादर ठीक हैं और मैं इन सभी अफवाहों का स्पष्ट रूप से खंडन करता हूं.[/ans]
[q]तो आपने मुल्ला बरादार से बात की है?[/q]
[ans]हां, हां, उसके सचिव से बात हुई है.[/ans]
[q]आपकी सरकार अभी बनी है और इसके गैर-समावेशी होने की बहुत चर्चा हो रही है. इसके लिए आपका क्या स्पष्टीकरण है?[/q]
[ans]यह पूरी तरह से हमारी सरकार नहीं है, बल्कि एक अस्थायी सरकार है. इसकी बहुत जरूरत थी. लोगों को तत्काल आवश्यक सेवाएं प्रदान करना था. इसलिए हमारे नेतृत्व ने कुछ मंत्रालयों में कैबिनेट सदस्यों को नियुक्त करने का निर्णय लिया. फिर भी कुछ मंत्रालय ऐसे हैं, जिनके लिए आगे मंत्रियों की नियुक्ति की जाएगी. यानी भविष्य के लिए…[/ans]
[q]तालिबान के सत्ता में आने के बाद जिस तरह से महिलाओं के साथ व्यवहार किया जाता है, उस पर वैश्विक चिंता और प्रतिक्रिया हुई है. कोई महिला कैबिनेट मंत्री नहीं है. हिजाब के साथ साथ महिलाओं के हाथों को काले दस्ताने से ढकने की तस्वीरें खूब बवाल मचा रही हैं. इस पर आपका क्या कहना है?[/q]
[ans]दस्ताने पहनना या न पहनना व्यक्तिगत मसला है, यह एक महिला का विवेक है. ये थोपा नहीं गया है. कुछ महिला एंकर समाचार रिपोर्ट करते या पढ़ते समय अपना
चेहरा दिखाती हैं और उन्हें ढकती नहीं हैं. कुछ शिक्षक भी ऐसा करती हैं. आपने जिस दस्ताने की बात का उल्लेख किया है वह अनिवार्य नहीं है.[/ans]
[q]उप रक्षा मंत्री का एक ऑडियो क्लिप सार्वजनिक डोमेन में आया था. वो किसी पंजाबी मेहमान से परेशान थे. शायद डीजी आईएसआई. जाहिर है, वे परेशान थे क्योंकि उन्हें तालिबान को एक समावेशी सरकार नहीं बनाने के लिए मजबूर किया गया. उस पर आपका क्या स्पष्टीकरण है?[/q]
[ans]नहीं, ये अज्ञात मैसेज है. कुछ मंडलियों ने ऐसा फैलाया है. उनका कोई आधार नहीं है. उन्हें केवल उनके पक्ष में और हमारे खिलाफ राय को गुमराह करने के लिए परिचालित किया जाता है.[/ans]
[q]ऐसी खबरें हैं कि हक्कानी और तालिबान के बीच भारी मतभेद हैं. और तालिबान उन्हें आंतरिक मंत्रालय देने का इच्छुक नहीं था, लेकिन पाकिस्तान ने हस्तक्षेप किया और ऐसा हुआ. इस बारे में आपको क्या कहना है?[/q]
[ans]हां, जैसा कि मैंने कहा कि वे बहुत सारी अफवाहें हैं. लेकिन उन अफवाहों का कोई आधार नहीं है. हमारे विरोधियों द्वारा उन्हें बार-बार फैलाया जा रहा है. लेकिन वे वास्तविकताओं पर आधारित नहीं हैं.[/ans]
[q]कल ईरान ने भी अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका पर आपत्ति जताई थी. एक सांसद सार्वजनिक डोमेन में आए और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान जो कर रहा है वह सही नहीं है. पंजशीर में जिस तरह से पाकिस्तान आपकी सहायता के लिए आया, उसके बारे में बात की. आपका क्या कहना है?[/q]
[ans]पंजशीर हमारा आंतरिक मामला है और इसे सुलझा लिया जाएगा. हम बातचीत के जरिए इसे सुलझाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके. इसलिए आखिरी उपाय सैन्य दृष्टिकोण था और वह अब पूरा हो चुका है. यह एक आंतरिक मामला है, क्योंकि अफगान लोग स्वतंत्रता-प्रेमी लोग हैं. हम चाहते हैं कि कोई भी देश हमारे आंतरिक मामलों में दखल न दे.[/ans]
[q]तो आप कह रहे हैं कि पाकिस्तान की कोई
भूमिका नहीं होगी और आप सब कुछ खुद तय करेंगे?[/q]
[ans]किसी देश की कोई भूमिका नहीं है. हमारे पड़ोसी और क्षेत्रीय दोनों देशों के साथ संबंध हैं. इसलिए निश्चित रूप से, हम अफगानिस्तान के निर्माण में उनका सहयोग चाहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे आंतरिक मामलों में उनका हस्तक्षेप है. यह हमारी नीति नहीं है, हमारी नीति स्पष्ट है. हमारी समस्या का समाधान खुद से करेंगे.[/ans]