इंसान की सबसे बड़ी खोज किसे कहेंगे? मानव इतिहास को करीब से देखें तो आग की खोज को इंसान की सबसे बड़ी खोज माना जाता है. लेकिन इंसान सिर्फ आग की खोज करके कहां मानने वाला था. उसे तो धरती की तरह ही अन्य ग्रहों की भी खोज करनी थी, जहां उसके जैसे ही या किसी भी रूप में जीवन हो. हालांकि, अभी तक इंसान को अपनी इस खोज में सफलता हासिल नहीं हुई है. फिर भी इंसान ने हार नहीं मानी है. किसी भी ग्रह पर जीवन का प्रमाण वहां पर पानी की उपलब्धता है. अगर पानी मिल जाए तो जीवन की उम्मीद भी की जा सकती है. इसके लिए इंसान अपने चंद्रमा सहित मंगल और शनि ग्रह के चंद्रमाओं की तरफ और यहां तक कि उल्कापिंडों की तरफ भी नजर रखता है. इस बीच इंसान को मंगलग्रह पर कुछ सफलता हाथ लगी है. जी हां, आपने सही पढ़ा… इंसान ने मंगल ग्रह पर पानी खोज लिया है.
मंगल ग्रह का चक्कर लगा रहे ट्रैस गैस ऑर्बिरेटर (TGO) को मंगल पर काफी मात्रा में पानी का पता चला है. यह पानी मंगल ग्रह के कैनियन में है. बस बात यह है कि यह पानी मंगल ग्रह पर सतह के नीचे छिपा हुआ है. पानी का यह छिपा स्रोत काफी बड़ा है. यह छिपा हुआ जलाशय 45 हजार स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है तो लगभग हमारे हरियाणा राज्य के बराबर है. इस नई खोज से खगोलविदों को मंगल ग्रह पर पानी की खोज के लिए एक और जगह दे दी है. बता दें कि मंगलग्रह के ध्रुवीय क्षेत्रों में भी पानी मौजूद है, लेकिन यह बर्फ के रूप में पाया जाता है. अंतरिक्ष यान ने मंगलग्रह की सतह पर ऊपरी एक मीटर में पानी की तलाश के लिए हाइड्रोजन की तलाश की तो उसे इस जलाशय का पता चला. बता दें कि हाइड्रोन एक अणु है जो ऑक्सीजन के साथ मिलकर तरल जल का निर्माण करता है.
भूमध्य रेखा पर स्थित इस क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी नहीं मिला, क्योंकि यहां पर तापमान काफी ज्यादा है. मॉस्को की रशियन अकेडमी ऑफ साइंस में स्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट से जुड़े इगोर मित्रोफेनोव का कहना है, ‘टीजीओ के साथ हम मंगल गर्ह की धूल भरी परत के एक मीटर नीचे देख सकते हैं, ताकि पता लगा सकें कि सतह के अंदर क्या चल रहा है. यहां हमें पानी का पता चला, जो पूर्व में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों से पता नहीं चल सकता था.’
यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसी ने बुधवार को बताया कि पानी का यह स्रोत धरती पर नीदरलैंड्स के बराबर है. इस तरह से मंगल ग्रह पर पानी की खोज से भविष्य में इंसान को वहां बसाने की कोशिशों को बल मिलता है. खोजकर्ता टीम का कहना है कि ऑर्बिटर ने जिस जलाशय की खोज की है उसमें पानी बर्फ के रूप में हो सकता है या किसी अन्य खनिज में भी उपलब्ध हो सकता है.