नई दिल्ली. महामारी की शुरुआत से ही वैज्ञानिक नोबल कोरोनावायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश कर रहे हैं। कोविड संक्रमण या वैक्सीन लगने के बाद या फिऱ दोनों ही स्थितियों के बाद व्यक्ति को वायरस से किस स्तर तक सुरक्षित माना जा सकता है? यह ऐसे गंभीर सवाल रहे हैं जिनपर खूब चर्चा की गई है। इन सवालों के सही जवाब क्या हो सकते हैं, इसपर बात करना फिलहाल जल्दबाजी होगी, लेकिन सुकून की बात यह है कि विशेषज्ञ इस कोड को क्रैक करने के काफी करीब पहुंच गए हैं। हाल ही में हुए दो अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने शरीर में बनी इम्यूनिटी के बारे में कुछ ऐसे खुलासे किए हैं जिसने लोगों में एक सकारात्मक उम्मीद जगा ही है।
साइंस नेचर और बायोरिक्सिव जर्नल में हाल ही में प्रकाशित दो अध्ययनों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के बाद ज्यादातर लोगों में बनीं एंटीबॉडीज कम एक साल तक बनी रहती हैं। इसके पश्चात टीकाकरण के बाद एंटीबॉडीज की गुणवत्ता में और सुधार आता है, जो ता-उम्र उन्हें वायरस से सुरक्षित रख सकती है। इन दोनों अध्ययनों के आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना से ठीक होने के बाद वैक्सीन की एक डोज ले चुके लोगों को बूस्टर की आवश्यकता नहीं होती है, यानी कि ऐसे लोगों को वैक्सीन के दूसरे खुराक की कोई खास जरूरत नहीं है।
अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है कि जिन लोगों को कभी भी कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ है, ऐसे लोगों को संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए दोनों डोज लेना जरूरी है। इसके अलावा कई लोगों में संक्रमित होने के बाद भी पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज विकसित नहीं हो पाती हैं, इन लोगों को भी वैक्सीन के दोनों खुराक जरूर लेनी चाहिए।
वैज्ञानिकों ने अध्ययन के लिए उन लोगों को शामिल किया था जो करीब एक साल पहले कोरोना से संक्रमित रह चुके हों। जर्नल में सोमवार को प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वायरस को याद रखने वाली कोशिकाएं (बी-कोशिकाएं) बोन मैरी में लंबे समय तक मौजूद रहते हुए जरूरत पड़ने पर शरीर को एंटीबॉडीज प्रदान करती रहती हैं। वहीं दूसरे अध्ययन (समीक्षाधीन) में वैज्ञानिकों ने बताया है कि पहले संक्रमण के बाद बी-कोशिकाएं शरीर में करीब एक साल तक बनी रह सकती हैं।
रॉकफेलर यूनिवर्सिटी में इम्यूनोलॉजिस्ट और इस अध्ययन से जुड़े डॉ मिशेल नुसेनज़वेग बताते है कि कोरोना संक्रमण के बाद बनी एंटीबॉडीज वैक्सीन के बाद इतनी शक्तिशाली हो जाती हैं कि बिना बूस्टर डोज के भी वे कोरोना वायरस के तमाम वेरिएंट को विफल कर सकती हैं। नुसेनज़वेग उम्मीद जताते हैं कि यह एंटीबॉडीज पूरी उम्र व्यक्ति को कोरोना से सुरक्षा दे सकती हैं।
नुसेनज़वेग कहते हैं कि आप कोरोना से संक्रमित रह चुके हैं या नहीं, सभी लोगों को टीकाकरण जरूर कराना चाहिए। अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जो लोग कोविड-19 से ठीक होकर
वैक्सीनेशन कर चुके हैं उन्हें बूस्टर डोज के बिना भी तमाम वेरिएंट के खिलाफ उच्च स्तर की सुरक्षा मिलती रह सकती है। अन्य सभी लोगों को वैक्सीन की दोनों खुराक जरूर लेना चाहिए।