केसर रानी (परमीत)
डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। अधिकतर यह अवस्था व्यक्ति के प्रेम संबंध को लेकर गंभीर होती है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में अपने जीवन साथी के प्रति बहुत अधिक लगाव प्रमुखता या इसका सबसे बड़ा कारण होता है। अवसाद की अवस्था में व्यक्ति स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है। उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। संबंधों में बेईमानी का परिचायक उसके द्वारा उग्र स्वभाव, गाली गलौज व अत्यधिक शंका करना इसमें शामिल होता है इस दौरान उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है। आइए इस विषय को संबोधित एक बेहतरीन विवेचना यहां पढ़ें ?
–खुली आँखें बस खुली रह जाती है,
हाँ नरम बिस्तर पर भी मुझे नींद नहीं आती हैं।
पूछता है, जब कोई कैसी हूँ मैं,
जरा सा मुस्कुरा के चल देती हूँ मैं।
–खो गयें हैं वो पल कहीं ,वो खिलखिलाना,वो नाचना गाना, वो ऊँचे स्वर में गुनगुना,वो दोस्तों के साथ बाहर जाने के बहाने बनाना ।
— बात करते करते बात ही भूल जाती हैं,
बात करते करते आँख भर ही आती हैं,
वज़ह बेवजह बस चिन्ता सताती हैं,
जो बिछड़ गये हैं शायद उनकी याद रूलाती हैं।
-बाल झङ से गये हैं,
आँखो के काले घेरे पड़ से गयें हैं।
आत्मविश्वास कहीं खो सा गया हैं,
मन उदास अब हो सा गया हैं ।
खो गया है चैन, सुकून और करार,
दिल में आता हैं कभी-कभी आत्महत्या का विचार।
-लिखकर बताऊँ या मुँह से कहूँ,
कैसे कहूँ, लगता है दोस्त
” मैं डिप्रेशन में हूँ “।
आंसू छिपाना,भावनाओं को दबाना, बेतुकी मुस्कान और काल्पनिक प्रतिक्रियाएं जब कोई आपके अकेलेपन और आपके अलगाव की अजीब स्थिति को नहीं समझता है तो ऐसी भावनाएं, यह संकेत करती हैं कि आप अवसाद या डिप्रेशन का शिकार है। एक ही समय में एक व्यक्ति में अवसाद(डिप्रेशन) और चिंता हो सकती है। वास्तव में,अनुसंधान से पता चला है कि 70 प्रतिशत से अधिक अवसादग्रस्तता (डिप्रेशन)वाले लोगों में चिंता के भी अधिक लक्षण होते हैं।
हम सभी को परिवार और दोस्तों के साथ बाहर घूमना,आराम करना, मस्ती करना बहुत पसंद होता हैं लेकिन कभी-कभी हम वास्तव में जीवन के कुछ ऐसे भयानक समय से गुजरते हैं जब हम वास्तव में वास्तविक दुनिया से खुद को दूर करना चाहते हैं, तो अपने आप को पूर्ण एकांत में रखना, घृणा, चिंता और पूर्ण अलगाव की स्थिति में आ जाते है ऐसे पलों मे हमारा वास्तविक विवेक मिट जाता है और हम “अवसाद(डिप्रेशन)” की भावना महसूस करते हैं। अवसाद(डिप्रेशन) बहुत ही स्वाभाविक और स्पष्ट मानवीय विशेषता है, जब हमें कुछ भी नहीं सुझता हैं क्योंकि हमारा मन इतना विचलित हो जाता हैं कि हम सामान्य रूप से सोचने-समझने या कार्य करने में असमर्थ हो जाते है। कोई भी अवसाद(डिप्रेशन) को आमंत्रित नहीं करता है, लेकिन यह स्वचालित रूप से लापरवाही से बढ़ता जाता है और वास्तविक रूप से तब होता है जब कोई विशेष सपना बुरी तरह से टूट जाता है,अचानक से कोई शारीरिक चोट लग जाती है जिसका असर मानसिक संतुलन पर पडने लगता हैं, अकेलेपन या धोखा को महसूस करता है या कुछ बहुत अतिआवश्यक इन्सान या बहुत कीमती वस्तु को खो देता हैं ।उस वक्त पूरी तरह से थका हुआ, बर्बाद और हारा हुआ महसूस करता है। संभवता: ऐसी भावनाएं इंसान को पीड़ित,निराश, टूटा हुआ बना देती हैं।अवसाद(डिप्रेशन) के कारण अधिक उदासी, हानि, या क्रोध की भावनाएं पैदा होती है जो किसी व्यक्ति की रोजमर्रा की गतिविधियों में बाधा डालती है।उदासी या क्रोध की लगातार भावना जो प्रमुख अवसाद(डिप्रेशन) की विशेषता है, व्यवहार और शारीरिक लक्षणों की एक श्रृंखला हो सकती है। इनमें नींद, भूख, ऊर्जा स्तर, एकाग्रता, दैनिक व्यवहार या आत्म-सम्मान में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं।ऐसे लोग में बार-बार शराब पीने से डिप्रेशन के लक्षण बदतर हो सकते हैं, और जिन लोग डिप्रेशन के शिकार होतेै हैं ,वे शराब के दुरुपयोग की अधिक संभावना रखते हैं या इस पर निर्भर हो जाते हैं।
डिप्रेशन को आत्महत्या के विचारों से भी जोड़ा जा सकता है।
डिप्रेशन के प्रमुख कारण है
गलत व्यक्ति से सही करने की उम्मीद।
कुछ हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत और त्याग करना लेकिन पूरा करने में असफल।
सबसे उत्सुक इच्छा का खो देना।
अपमानजनक, टूटा हुआ,परेशान, अशांत या किसी प्रिय व्यक्ति द्वारा धोखा खाना ।
किसी को दृढ़ प्रेम करना और वह व्यक्ति आपको अपनी प्राथमिकता के रूप में कभी न ले और आपके कट्टर प्रेम, बलिदान को नजरअंदाज करदे। ये सभी कारण हमें कोई ओर ही बना देता है जो किसी और के लिए सच हो सकता है लेकिन स्वयं के लिए एक धोखा है।
एक बात याद रखें,अवसाद(डिप्रेशन) न तो चिंताओं को मिटाता है और न ही आपकी आपदा स्थितियों या परिस्थितियों को गायब करता है, यह आपको मारता है और आपको पीड़ित करता है ।
अवसाद(डिप्रेशन) के लक्षण
दिन का अधिकांश समय उदास महसूस करना।
सामान्य दैनिक गतिविधियों में रुचि खो देंना ।
आशाहीन महसूस करना।
आत्म सम्मान खोया महसूस करना।
अधिकांश नियमित गतिविधियों में रुचि को देना ।
वजन घटाना या बहुत अधिक बढ़ना।
भरपूर नींद लेना या न सोना।
धीमी सोच या छोटी-छोटी बातों और आवश्यकताा के पासवर्ड भूलना।
ज्यादातर दिन थकान या कम ऊर्जा महसूस करना।
मूल्यहीनता या अपराधबोध की भावना।
मृत्यु या आत्महत्या के विचार।
सामान्य रक्तचाप में गिरना या गिरना।
क्रोधित रवैया।
ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ना डायबिटीज से पीड़ित हो जाना।
हार्मोनल असंतुलन।
बालों का झड़ना ।
आँखों के नीचे काले घेरे।
आत्मविश्वास का अभाव।
उत्साह और उत्साह की कमी।
खराब बन्दोबस्त और जीवन में अनुशासन की कमी।
सुस्ती और चेहरे में चमक की कमी।
अवसाद(डिप्रेशन) के कारण बदतर हो सकने वाली स्थितियों में शामिल हैं: गठिया, दमा ,हृदय रोग, कैंसर ,मधुमेह और मोटापा।
यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो जटिलताओं में शामिल हो सकते हैं: वजन बढ़ना या कम होना, शारीरिक दर्द, रिश्तों में बहस और अन्य समस्याएं, सामाजिक एकांत, आत्महत्या के विचार एवं खुद को नुकसान।
कैसे पाएं अवसाद(डिप्रेशन) से छुटकारा?
संगीत– सबसे अच्छा उपाय, अपनी पसंद का संगीत(उदास संगीत न सुने),कुछ मिनटों के लिए अवश्य सुनें इससे आपका मानसिक संतुलन बना रहेगा और तनाव कम महसूस होगा । यह वाकई में खुद को शांत करने का सबसे अच्छा तरीका है।
प्रेरक और प्रेरणादायक उद्धरण और कहानियाँ पढें। प्रेरक कहानियाँ, उद्धरण पढ़ें और अपने जीवन में अच्छी आदतों को लागू करने का प्रयास करें।किताबें, सकारात्मक विचार और कहानियाँ पढ़ना आपकी स्थायी आदत बनाएं।और अच्छे लेख पढने में रूचि दिखाएं।
प्रार्थना और ध्यान करें और ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास रखें, खासकर जब आप कठिन समय का सामना कर रहे हों तो प्रार्थना को अपनी आदत बना लें, यह आपको सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है और आपको अधिक आत्मविश्वास प्रदान करता है।
नियमित व्यायाम करें, संतुलित भोजन लें, स्वस्थ भोजन करें और सकारात्मक और बेहतर सोचें। अपने आप को स्वस्थ और फिट रखें और अपने मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक शक्ति को संतुलित करें।
एक आशावादी बनें और हमेशा चीजों के उज्ज्वल पक्ष को देखें। ईश्वर में आस्था रखें, इसलिए याद रखें कि समय बीत जाएगा, चिंताएं दूर हो जाएंगी और आप सबसे खुश रहेंगे लेकिन तब तक विश्वास रखें और मजबूत रहें।ध्यान रखे, अपने दैनिक दिनचर्या कार्यक्रम में प्रार्थना और ध्यान लाएं।
अभिनय शुरू करो और सोचना बंद करो। खुद को अपनी रूचि के कार्यों में व्यस्त रखे।अपनी पसंद का काम करें जैसे डांसिंग(नृत्य), सिंगिंग (गायन),पेंटिंग(चित्रकारी),राइटिंग(लेख लिखना), कुकिंग(खाना पकाना)।जो भी काम आपको खुश करता है, उसे करने में खुद को व्यस्त रखें।अपनी रुचियों को अपनी कला और शिल्प बनाएं। जिस काम को करने में आपको ख़ुशी मिलती हैं, वह काम करे और केवल करने के बारें में योजनाएं ही न बनाते रहे।
बेवजह और अधिक न सोचो, किसी भी बात को पूरी तरह समझने के बिना,स्वंय अपने ही मन से खयाली पुलाव न पकाएं इससे आप केवल खुद के हृदय को ही ढेस़ पहुंचाएंगे।
घूमने और यात्राओं के लिए बाहर जाएँ। केवल एक ही स्थान में कैद न रहे। बाहर निकले, ताज़ी हवा ले और एक ही तरह के वातावरण में खुद को न रखें।
उन लोगों के साथ संपर्क करे जो आपको बढ़ावा देते हैं और आपकी शक्ति को मजबूत करते हैं और आपको सांत्वना देते हैं।खुद को नकारात्मक वाइब्स और उन लोगों से दूर रखें जो आपका अनादर करते हैं। जिससे बात करके हृदय को खुशी महसूस हो ऐसे मित्रों या सगे-संबंधियों के संपर्क में अधिक रहे।
कभी भी, यदि किसी भी कारण रोने का मन हो तो अपने आँसुओं को बहने से न रोके, यकीनन आप हल्का महसूस करने लगेगें।
यदि अपने किसी भी करीबी दोस्त या खास रिश्तेदार से मन मुटाव हो जाए तो रिश्ते में दूरी कभी न बनाए इससे आप केवल खुद को ही तकलीफ देंगे बल्कि अपने मित्र को संपर्क करें और गलतफहमियों को दूर करने का प्रयास करें।
दुखद और परेशान करने वाली घटनाएँ हर किसी के साथ होती हैं। लेकिन,यदि आप नियमित रूप से निराश महसूस करते हैं, तो आप अवसाद(डिप्रेशन)का शिकार हैं। अवसाद(डिप्रेशन)को एक गंभीर चिकित्सा स्थिति माना जाता है,जो उचित उपचार के बिना खराब हो सकता है। जो लोग उपचार की तलाश करते हैं वे अक्सर कुछ हफ्तों में लक्षणों में सुधार देखते हैं।
अवसाद(डिप्रेशन)केवल एक भावना है जब हम उदासी, निराशा, टूटा हुआ, दुनिया से कटा हुआ,आत्मविश्वास का अभाव अधिक महसूस करते हैं। घर के बड़े बुजुर्ग,परिवार के अति संवेदनशील और भावनात्मक सदस्य अवसाद(डिप्रेशन) का शिकार अधिक होते हैं। कई अन्य कारण हैं जैसे-घर के जिस सदस्य को मूल न देना, कम आयु में जो बच्चे शोषण का शिकार होते है, जिन घरों मे अधिक संदिग्ध परिस्थितियां जैसे झगड़ा, मार पीट ,एक दुसरे पर गाली-गलोच, छोटी-छोटी बातों पर एक दुसरे पर दोष लगाने के कारण, घर के सदस्य अपना उनके मानसिक संतुलन को बिगाड़ देते है और वह अवसाद (डिप्रेशन)का शिकार हो जातें हैं ।
परिवार के हर सदस्य की देखभाल करे, बड़े को सम्मान देने, परिवार के हर सदस्य के साथ समान व्यवहार करे, एक साथ चाय पियें,एक साथ भोजन करें और केवल प्यार फैलाने की कोशिश करें।सभी को महत्व दे। यहां तक कि अगर किसी के बीच गलतफहमी पैदा होती भी है, तो बातचीत से सुलझने की कोशिश करें, अधिक विनम्र, उदार बनें और अपने परिवार का बहुत ख्याल रखें क्योंकि अगर अवसाद(डिप्रेशन)में आपको मारने की शक्ति है तो आप में परिस्थितियों को ठीक करने की ताकत है।
लेखिका जम्मू कश्मीर से हैं।