ओर्गाज़्म या चरमसुख बेहतर यौनिक स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक है हालांकि अभी भी इस दिशा में बहुत जानकारियों की तलाश बाक़ी है, ओर्गाज़्म पर होने वाली चर्चाओं ने अपनी वैश्विक उपस्थिति बना ली है।मानक परिभाषाओं के अनुसार ओर्गाज़्म को कई बार सेक्सुअल एक्साइटमेंट की चरम अवस्था के तौर पर इंगित किया जाता है तो कई बार यह सेक्स के दौरान हासिल हुए असीम प्लेज़र और सेंसेशन के तौर पर देखा जाता है ।
शरीर में जब एंडोर्फिन हॉर्मोन स्त्रावित या रिलीज़ होता है तो पूरी देह को बेहद अच्छा लगता है. इस गुण की वजह से इस हॉर्मोन को फ़ील गुड हॉर्मोन भी कहा जाता है. इस हॉर्मोन के रिलीज़ होने के पास बहुत ख़ुशी, नींद और आराम का अहसास होता है. गौरतलब है कि चरम सुख या आर्गेस्म केवल सेक्स करने से नहीं हासिल होता है।
यह हस्त मैथुन से भी हासिल होता है। कई लोगों में ओर्गाज़्म डिसऑर्डर भी होता है। मसलन, पुरुषों में जाने वाला शीघ्रपतन ओर्गाज़्म डिसऑर्डर ही है। की यह समस्या औरतों को भी हो सकती है।अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के मुताबिक़ शरीर जब सबसे अधिक प्लेज़र की अवस्था में होता है तो इसमें ऐंठन पैदा होती है और पेरिनेल मसल के साथ-साथ जननांग एक लय में सिकुड़ते हैं। इस दरमियान एंड्रोफिन हॉर्मोन का स्त्राव होता है।
मर्दों को जब चरमसुख मिलता है तो वे इजैकुलेट करते हैं अर्थात उनके लिंग से सीमेन का स्त्राव होता है, वहीं औरतों को जब ओर्गाज़म हासिल होता है तो उनकी योनी की अंदरूनी दीवारें सिकुड़ने लगती हैं।