नई दिल्ली। होली यानी ढेर सारे रंगों का त्योहार। इस रंग बिरंगे त्योहार से भला किसको प्यार नहीं होगा। इस दिन हर कोई सब कुछ भूलकर बस रंगों की दुनिया में खो जाना चाहता है। हां कोरोना वायरस की वजह से पिछले दो सालों की होली का रंग थोड़ा सा फीका जरूर हुआ है लेकिन लोगों के अंदर इस त्योहार का जोश आज भी देखने को मिलता है। आज भले ही सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लोग भीड़ में होली को मनाने से सावधान रहेंगे लेकिन इसे मनाएंगे जरूर। रंगों के इस त्योहार से हर किसी की बचपन की कई सारी सुनहरी यादें जुड़ी होती हैं। ऐसी ही कुछ बचपन की यादों को जागरण की संवाददाता के साथ शेयर किया है ‘भाभी जी घर पर है’ की अंगूरी भाभी यानी शुभांगी अत्रे और हप्पू सिंह यानी योगेश त्रिपाठी ने। इन दोनों ने होली से जुड़ी कई सारी सुनहरी यादें शेयर की हैं। तो चलिए जानते हैं…
ठंडे पानी से नहीं गरम पानी से खेलते थे होली
‘भाभी जी घर पर है’ की अंगूरी भाभी यानी शुभांगी अत्रे ने अपने बचपन की होली को याद करते हुए कहा कि होली मेरा पसंदीदा त्योहार है। एमपी में जब थे तब वहां होली के वक्त भी थोड़ी-थोड़ी ठंड होती थी। ऐसे में मेरे पापा इतने केयरिंग थे कि वो बाल्टी में गरम पानी की रॉड डालकर रखते थे और जब भी हमें किसी पर पानी डालकर होली खेलना होता था तो वो कहते थे कि ठंडा नहीं गुनगुने पानी में रंग डालकर खेलो। वहीं मेरे दोस्त पापा की इस बात काफी हैरान होने के साथ ही खुश होते थे। वही मेरे दोस्त कहते थे कि तुम्हारे पापा कितने केयरिंग हैं। ये बात आज भी याद करके हंसी भी आती है और इमोशनल भी होती हूं कि वो भी क्या दिन थे।
फॉर्म हाउस पर सेलिब्रेटि करेंगे होली
शुभांगी अत्रे ने बताया कि इस बार वह अपनी होली परिवार के साथ फॉर्म हाउस पर मनाएंगी। वह कहती हैं कि एक वक्त ऐसा था जब हम अपने 40-50 दोस्तों के साथ होली मनाते थे। लेकिन इस बार हम बस अपने 4 या 5 परिवार के लोगों के साथ होली सेलिब्रेट करेंगी। शुभांगी ने ये भी बताया कि उन्हें कुकिंग का भी काफी शौक हैं। वह हर साल होली पर लड्डू, गुझिया, सेव, मठरी जैसे मजेदार पकवान बनाती हैं। इसी के साथ ही शुभांगी ने अपने फैंस को होली की मस्ती के बीच कोरोना वायरस से सावधान और सुरक्षित रहने के लिए भी कहा है। उन्होंने कहा कि होली का पूरा मजा तब आएगा जब आप और आपका पूरा परिवार सुरक्षित रहेगा। इसलिए अपना ध्यान रखें।
खुद पर ही डालते थे रंग
‘भाभी जी घर पर है’ के हप्पू सिंह यानी योगेश त्रिपाठी ने अपने बचपन की होली की यादों को ताजा किया। उन्होंने बताया कि हम जिस कॉलोनी में रहते थे वो पापा की ही कॉलोनी थी उसमें सिर्फ टीचर और स्कूल में काम करने वाले कर्मचारी ही रहते थे। हम हम बहुत बुरी तरह से होली खेलते थे। जब हम होली वाले कोरे कपड़े पहन के निकलते थे और कोई हमपर जब रंग नहीं डालता था तब हम खुद पर ही सबसे पहले रंगों से भरे गुब्बारें डाल लेते थे फिर पूरी कॉलोनी में घूमते थे। ऐसा लगता था जैसे हमें कई लोगों ने रंग में डुबोया है।
कीचड़ की होली खलते थे हप्पू सिंह
योगेश त्रिपाठी ने आगे बताया कि हमारे जमाने में कीचड़ी की होली भी खूब होती थी। उसमें हम नाली से कीचड़ निकाल कर और गोबर आदि दूसरों पर डालकर खूब हुड़दंग मचाते थे। वहीं मैं कालोनी में रहने वाले चपरासी के बच्चों के साथ मिलकर मटके में नाली से कीचड़ और गंदगी निकाल कर उसमें भरकर इकट्ठा करते थे। इसके बाद फिर उन्हीं मटकों को सबके घरों को बाहर जाकर फोड़ते थे। कई बार इसको लेकर झगड़े भी होती थे। पहले लोगों का पूरा जमावड़ा होता था लेकिन अब वो बात नहीं। वहीं अब ऐसा लगता है कि कीचड़ वाली होली शायद ठीक नहीं थी। क्योंकि आज के माहौल और तमाम बीमारियों को देखते हुए अब इस तरह की कीचड़ वाली होली सुरक्षित नहीं है। वहीं मैं अपने फैंस से गुजारिश करूंगा कि होली में ये न सोचें कि कोरोना खत्म हो चुका है। जैसे इस बार मैं होली नहीं खेल रहा हूं आप भी सवधानी बरतें। खुद भी सुरक्षित रहें और अपनों को भी रखें