केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को उनकी भू-संपत्ति को लेकर प्रॉपर्टी कार्ड मिलने शुरू हो गए हैं। इस योजना के तहत हर गांव के प्रत्येक घर और भूमि का रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा। गांवों की सीमा के भीतर आने वाली हर प्रॉपर्टी का एक डिजिटल नक्शा तैयार होगा। ये प्रॉपर्टी कार्ड राज्य सरकारें बनाएंगी। इस योजना पर 2020 से 2024 के दौरान चरणबद्ध तरीके से अमल कर देश के सभी 6.62 लाख गांवों को कवर करने का लक्ष्य है। सरकार का कहना है कि लोग इस कार्ड का उपयोग बैंकों से कर्ज लेने के अलावा अन्य कामों में भी कर सकते हैं। इससे गांवों में भूमि विवाद भी समाप्त हो जाएंगे। भूमि के सत्यापन की प्रक्रिया में तेजी आएगी व भ्रष्टाचार को रोकने में सहायता मिलेगी। सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि व प्रॉपर्टी का डिजिटल रिकाॅर्ड तैयार करने की योजना को सकारात्मक पहल कहा जा सकता है। अकबर के शासनकाल में राजा टोडरमल ने भारत में सबसे पहले भूमि पैमाइश शुरू की। इसके बाद अंग्रेजों के समय में लगभग पूरे देश के भू-रिकॉर्ड तैयार किए गए। ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि का रिकॉर्ड तो राजस्व विभाग के पास मौजूद रहता है, लेकिन मकानों को लेकर रिकॉर्ड करने की व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई थी। देर से ही सही, अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरी क्षेत्रों की तरह मकानों के नक्शे व अन्य रिकॉर्ड सरकार के पास उपलब्ध हो जाएंगे। चूंकि अब अधिकतर ग्राम पंचायतें इंटरनेट का लाभ उठा रही हैं, इसलिए अब इस योजना पर अमल में परेशानी नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पहले चरण में गांवों के भू-संपत्ति मालिकों को प्रॉपर्टी कार्ड वितरित करने की योजना का शुभारंभ किया। पहले चरण में लगभग एक लाख भू-संपत्ति मालिकों के मोबाइल फोन पर एसएमएस से लिंक भेजा गया और उसे डाउनलोड करने पर उन्हें प्रॉपर्टी कार्ड मिलने शुरू हो गए। इस तरह 763 गांवों के 1.32 लाख लोगों को ऑनलाइन प्रॉपर्टी कार्ड सौंपे गए।
अब राज्य सरकारें विधिवत तौर पर लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड बांटेंगी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस योजना से देश के गांवों में ऐतिहासिक परिवर्तन आएगा। इस योजना ने देश के गांव और गरीब लोगों को बड़ी ताकत दी है। मोदी ने कहा कि प्रॉपर्टी कार्ड का दस्तावेज एक कानूनी कागज है और इससे गांव में रहने वाले लोग आत्मनिर्भर बनेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्वामित्व योजना भी गांवों में अनेक विवादों को समाप्त करने का बहुत बड़ा माध्यम बनेगी। यह प्रधानमंत्री मोदी की डिजिटल इंडिया योजना का ही हिस्सा है। राष्ट्रीय पंचायत दिवस के अवसर पर इस साल 24 अप्रैल को इसे लांच किया गया था। पंचायती राज मंत्रालय की इस योजना का पूरा नाम ‘सर्वे ऑफ़ विजिलेंस एंड मैपिंग विद इम्पोवरिश्ड टेक्नोलॉजी इन विलेज एरिया’ है। इसके तहत ड्रोन्स के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि व हर प्रॉपर्टी का एक डिजिटल नक्शा तैयार करना है। बहरहाल, अब सबकी निगाहें इस योजना के क्रियान्वयन पर रहेंगी, क्योंकि अच्छी योजनाएं तो पहले भी बहुत -सी बनती रही हैं, लेकिन उन पर ठीक से अमल नहीं हो पाने से वे लालफीताशाही के चंगुल में फंसती रही हैं। देखना होगा कि कहीं इस योजना का हश्र आधार कार्ड, मतदाता कार्ड जैसा न हो जाए। इन योजनाओं में लोगों के नाम, जन्म तिथि, फोटो आदि गलत लगने की ढेरों शिकायतें आती रही हैं। इससे लोग बेवजह परेशान होते हैं। कहीं भू-रिकॉर्ड में गलत जानकारी दर्ज हो गई तो यह योजना गांवों के लोगों की मुश्किलें और विवाद बढ़ा देगी। इसलिए सरकारी तंत्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस योजना पर पारदर्शी तरीके से अमल हो और लोगों को परेशानी न उठानी पड़े। इसी से इस योजना की लोगों में विश्वसनीयता बढ़ेगी और इसकी सफलता भी सुनिश्चित होगी। – अनिल अनूप