–प्रमोद दीक्षित मलय गली-द्वार मुस्काते दीप। मन को बहुत सुहाते दीप। धनी-निर्धन…
– हंसराज”हंस” मानव जीवन पाया है तो, सेवा धर्म निभाओ धन,दौलत सब…
राजीव कुमार झा आकाश से कहाँ गये वे उड़ते सारे बादल सूखी…
• प्रमोद दीक्षित मलय मन से मन के मृदु तार मिलाएं। गूंज…
• प्रमोद दीक्षित मलय हम एक नया संसार बनायें। न ढलें अश्रु…
•दीप्ति सक्सेना नहीं आ रहा समझ क्या लिखूं कलम नहीं लिख सकती…
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