ईपीएफओ कोरोना काल में अपने सदस्यों को राहत देने के लिए यह स्कीम लाया है। किसी भी आर्गेनाइज्ड समूह में काम करने वाले कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और डीए का 12 फीसद ईपीएफ (इम्प्लाइ प्रोविडेंट फंड) में जाता है। साथ ही 12 फीसद का योगदान कंपनी या नियोक्ता द्वारा किया जाता है। इसमें नियोक्ता का 12 फीसद में से 8.33 फीसद इम्प्लाइ पेंशन स्कीम (ईपीएस) में चला जाता है। इस प्रकार ईडीएलआइ (EDLI) स्कीम में केवल कंपनी की ओर से प्रीमियम जमा होता है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) अपने सदस्यों को सात लाख रुपये के कोरोना जीवन बीमा की सुविधा भी दे रहा है। जरुरत है कि इस संबंध में अधिक से अधिक लोगों को जागरुक किया जाए, ताकि दावेदारी पेश कर समय से बीमा की राशि हासिल कर सकें। ईपीएफओ ने ईडीएलआइ (इंप्लाइज डिपाजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम) के तहत बीमा कवर बढ़ाकर सात लाख रपये किया है।
खास बात यह है कि यह बीमा कवर उन कर्मचारियों को भी मिलेगा, जिन्होंने सालभर के अंदर एक से अधिक प्रतिष्ठानों में काम किया है। यह क्लेम कर्मचारी के स्वजन की ओर से बीमारी, दुर्घटना या स्वाभाविक मृत्यु पर भी किया जा सकता है। अब तक बीमा कवर की राशि 2.5 लाख रुपये थे। इस स्कीम के तहत क्लेम करने वाला सदस्य इम्प्लाइ का नामिनी होना चाहिए। वह इम्प्लाइ की बीमारी, दुर्घटना या स्वाभाविक मृत्यु होने पर क्लेम कर सकता है।
ईडीएलआइ स्कीम में क्लेम की गणना कर्मचारी को मिली आखिरी 12 माह की बेसिक सैलरी और डीए के आधार पर होती है। इस इंश्योरेंस का क्लेम कवर आखिरी बेसिक सैलरी और डीए का 35 गुना होगा। मान लीजिए आखिरी 12 माह की बेसिक सैलरी और डीए 15 हजार रुपये है तो इंश्योरेंस क्लेम 35 गुना 15 हजार प्लस एक लाख 75 हजार रुपये यानि सात लाख होगा।
अगर ईपीएफ सदस्य की असमय मृत्यु हुई है, तो उसके नामिनी या उत्तराधिकारी इंश्योरेंस कवर के लिए क्लेम कर सकेंगे। क्लेम करने वाला 18 साल से कम है, तो उसकी तरफ से उसका अभिभावक क्लेम कर सकता है। इसके लिए इंश्योरेंस कंपनी को इम्प्लाइ की मृत्यु का प्रमाण पत्र, सक्सेशन सर्टिफिकेट, माइनर नामिनी की ओर से आवेदन करने वाले गार्जियन सर्टिफिकेट व बैंक डिटेल्स देना होगा।