प्रधान संपादक की रिपोर्ट
कभी रामचरितमानस, कभी तुलसीदार तो इस बार हिंदू धर्म और जातिया, भारत की राजनीती में इन दिनों समाजवादी पार्टी के नेता स्वमी प्रसाद मौर्य विवादों के केंद्र में दिखाई दे रहे हैं। कल अपने बयान में जहाँ उन्होने रामचरितमानस से कोई मतलब नहीं होने की बात कही थी तो वही आज किये गए ट्वीट में उन्होंने शूद्रों को लेकर हिन्दू धर्म को निशाने पर भी लिया हैं। वहीं अपने बयान में उन्होंने डॉ अम्बेडकर की कही गई बातो का भी जिक्र किया। आपको बता दें स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करते हुए कहा हैं की ‘कदम-कदम पर जातीय अपमान की पीड़ा से व्यथित होकर ही डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि ‘मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ यह मेरे बस में नहीं था, किंतु मैं हिंदू होकर नहीं मरूंगा, ये मेरे बस में तो है।’ आगे वो लिखते हैं फलस्वरूप सन 1956 में नागपुर दीक्षाभूमि पर 10 लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।
उन्होंने यह भी लिखा की ‘तत्कालीन उपप्रधानमंत्री, बाबू जगजीवन राम द्वारा उद्घाटित संपूर्णानंद मूर्ति का गंगा जल से धोना, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के रिक्तोपरांत मुख्यमंत्री आवास को गोमूत्र से धोना व राष्ट्रपति कोविंद जी को सीकर ब्रह्मामंदिर में प्रवेश न देना शूद्र होने का अपमान नहीं तो और क्या है? रामचरितमानस के खिलाफ भड़काऊ बयान देने और फिर विरोधस्वरुप उसकी प्रतियां जलाने के आरोप में उत्तर प्रदेश पुलिस ने स्वामी प्रसाद के समेत आधे दर्जन लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया था। वहीं इस दौरान उन्होंने सफाई देते हुए कहा था की वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और उन्हें रामचरितमानस से कोई भी मतलब ही नहीं हैं।