टिक्कू आपचे की रिपोर्ट
मुंबई। कोरोना वायरस को लेकर भारत में 21 दिनों के लॉकडाउन में हालात सुधरने की पूरी गुंजाइश थी, लेकिन दिल्ली केनिजामुद्दीन में हुई तबलीगी जमात ने सरकार, प्रशासन और लोगों की सारी उम्मीदों पर एक झटके में पानी फेर दिया। इसकी वजह से कोरोना के मरीजों की तादाद न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश में बढ़ गई। अब दूसरी खतरे की घंटी मुंबई के धारावी ने बजा दी है। यहां पर कोरोना वायरस के दो मरीज मिलने के बाद प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत सरकार तक की नींद उड़ गई है। इन दो मरीजों में से एक की मौत हो चुकी है। आपको बता दें कि धारावी एशिया की सबसे बड़ी स्लम कॉलोनी है।
करीब 520 एकड़ में फैले इस स्लम इलाके में करीब सात लाख लोग रहते हैं। यह इलाका इतना सघन है कि यदि कोई अनजान आदमी इसमें घुस जाए तो शायद दिनभर में भी यहां से नहीं निकल सकेगा। इसी लिए धारावी दुनिया के सबसे सघन इलाकों में गिना भी जाता है।
आपको बता दें कि धारावी आधुनिक मुंबई की देन नहीं है बल्कि ये ब्रिटिश काल में बसाई गई थी। 1884 में अंग्रेजों के काल में बसाई गई इस बस्ती में फैक्ट्री और दूसरी जगहों पर काम करने वाले मजदूर रहते थे।समय के साथ साथ यहां पर बाहर से आने वाले लोगों की तादाद बढ़ती चली गई। धीरे-धीरे ये कम खर्च में सिर के ऊपर छत चाहने वालों का सबसे आसान ठिकाना भी बन गई। मुंबई के लगभग बीचोंबीच बसे इस इलाके में कोरोना वायरस के मरीज मिलने के बाद हडकंप मचा है। हर कोई डरा और सहमा हुआ है। बेहद छोटी सी तंग जगह में अधिक आबादी होने की वजह से यहां पर कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है।
अभी तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक कोरोना पॉजीटिव पाए गए दोनों मरीजों की कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है। लेकिन इसका एक अर्थ ये भी है कि ये कहीं बाहर से संक्रमण का शिकार हुए हैं। जितने दिनों में इन लोगों के बारे में पता चला है उस दौरान यहां आसपास के दूसरे लोग भी जरूर इससे संक्रमित हुए होंगे, जिनका अभी तक पता नहीं चल सका है।
आपको बता दें कि यहां पर रहने वाले लोग विभिन्न व्यवसायों से जुड़े हैं। आपको जानकर हैरत हो सकती है लेकिन यहां से सालाना एक बिलियन डॉलर की आय होती है। धारावी के सघन होने की वजह से यहां पर पहले भी महामारी फैलने का इतिहास रहा है। 1896 में जब प्लेग का साया देश और विदेश पर पड़ा था तो इससे धारावी भी अछूता नहीं रहा था। इसने मुंबई की आधी आबादी को लील लिया था।