रिपोर्ट-संजय सिंह राणा
चित्रकूट– कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों के लिए लॉक डाउन घोषित कर दिया था जिसको लेकर लोगों को घरों में रहने की सलाह दी गई है लॉक डाउन के चलते रोटी और रोजगार नहीं मिल पाने के कारण गरीब दिहाड़ी मजदूर व खेतिहर मजदूर सहित बड़ी मात्रा में बेरोजगार तबका भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है l जिसको लेकर सरकार द्वारा इन गरीब लोगों के लिए खाने पीने की समुचित व्यवस्था हेतु खाद्यान्न देने का काम किया जा रहा है जिससे इन गरीबों का पेट भर सके l लॉक डाउन के चलते जब हम ग्रामीण इलाकों में पहुंचे तो एक ऐसा लम्हा देखकर ऐसा महसूस हुआ जैसे जिंदगी मानो थम सी गई हो l
गरीबी के आंचल में लिपटा व मां की ममता से सराबोर एक गरीब मजदूर से जब उसके विषय में जानकारी ली गई तो उसने बताया कि कोरोना क्या है यह तो मैं नहीं जानता लेकिन यह जरूर जानता हूं कि जिस बीमारी से मैं जूझ रहा हूं उसके लिए हर कोशिश करने के बावजूद भी मेरे स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा है लेकिन कोई भी व्यक्ति या समाजसेवी हमारी मदद के लिए सामने नहीं आ रहा है l
जब इस बारे में गरीब बेबस मां से पूछा गया तो उसके आंसू ही हर सवाल का जवाब बनकर बाहर निकल आए जिसको देखकर हमारे हर सवाल के जवाब हमारे सामने थे l लेकिन बेबस लाचार मां द्वारा गंभीर बीमारी से पीड़ित अपने बच्चे को ममतामई होकर सेवा करते हुए देखना किसी नवजीवन से कम नहीं लग रहा था l
बेबस लाचार मां अपने बच्चे के हर दर्द को भुलाने के लिए उस उसके हाथ पैर मीस रही थी व प्यार से अपने बेटे को सहला कर गंभीर बीमारी से लड़ने का हौसला बढ़ा रही थी। जब इस बारे में बेबस लाचार मां से पूछा गया तो उसके द्वारा बताया गया कि मेरा बेटा क्षय रोग जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है जिसका इलाज काफी समय से चल रहा है लेकिन सुधार नहीं हो रहा है। बूढ़ी मां द्वारा बताया गया कि मेरे बच्चे के छोटे-छोटे बच्चे हैं जिनके भरण पोषण व देखरेख की जिम्मेदारी हमारे ही सर पर हैं l
लेकिन गरीबी का आलम यह है कि दो वक्त की रोटी जुटाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है तो ऐसे में अपने बेटे का इलाज कराऊँ तो कैसे कराऊं ?
सरकार द्वारा क्षय रोग के इलाज का बड़ा दावा किया जा रहा है लेकिन इन दावों के बीच भी मेरा बेटा सही नहीं हो पा रहा है । पीड़ित ने कहा कि सुनने को आ रहा है कि कोरोना जैसी कोई बीमारी आ गई है जिसको लेकर लोगों को घरों में रहने की सलाह दी जा रही है l
वही बूढ़ी मां ने बताया की सरकार द्वारा घरों में रहने की सलाह दी जा रही है लेकिन हमारी जिंदगी तो घरों तक ही सिमट कर रह गई अपने बच्चे की देखरेख व सेवा करने के लिए हम दिन रात जगते हैं व यह सोचते हैं कि कब हमारा बच्चा सही हो जाए व उसके स्वास्थ्य में सुधार आए l
बेबस लाचार मां के आंसू देख कर हम यह सोचने को मजबूर हो गए हैं कि क्षय रोग जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे इस मजदूर को देखकर यह लगने लगा है कि आखिर इसका इलाज हो तो कैसे हो l
बुंदेलखंड के चित्रकूट जिले के पठारी क्षेत्र मानिकपुर व बरगढ़ का एरिया कोल आदिवासी बाहुल्य होने के चलते ऐसी गंभीर बीमारियां ज्यादातर देखने को मिल रही है जहां पर यह गरीब मजदूर लकड़ी व पत्थर का कार्य करते हुए ज्यादातर क्षय रोग के शिकार होते हैं लेकिन इन पठारी क्षेत्रों में सही तरीके से स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाने के कारण यह गरीब मजदूर अर्ध आयु में ही दुनिया छोड़ कर चले जाते हैं l
इस मां को देखकर यही लगता है कि अपने बेटे के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित यह बेबस लाचार मां एक एक लम्हा अपने बेटे के साथ गुजारना चाहती हैं व अपने दिल के टुकड़े को जिंदगी जीने का सही तरीके से एहसास दिला रही है l बुंदेलखंड के पठारी क्षेत्र में ज्यादातर ऐसी माँये देखने को मिल रही हैं जो अपने बच्चे की जिंदगी के लिए सेवाएं करते हुए नजर आ रही हैं उन्हें इस बात का हमेशा डर सताता रहता है कि कहीं दूर हो जाने से मेरे बेटे की जिंदगी हमसे दूर ना हो जाए l
जिसको लेकर यह बेबस लाचार मांएं हर लम्हे अपने बच्चे को खुश देखना चाहती है व गंभीर से गंभीर बीमारी से लड़ने की ताकत प्रदान करती हैं। जिसको देखकर मन में सिर्फ एक विचार आता है कि मां तो बस मां होती है इससे बड़ा संसार में कोई दूसरा अवतार नहीं है। अगर जिंदगी में कोई भगवान है तो वह सिर्फ मां है क्योंकि मां की ममता के आगे दुनिया के कोई सुख कोई मायने नहीं रखते हैं l
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