सन्नी यादव की रिपोर्ट
कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन जारी है। लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रवासी मजदूर, छात्र और पर्यटक फंसे हुए हैं। लॉकडाउन में सबेस बुरी हालत प्रवासी मजदूरों की है, जिनके पास रहने और खाने का कोई ठिकाना नहीं है। कोरोना संकट के इस घड़ी में प्रवासी मजदूरों और छात्रों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाकर केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ी राहत दी है। राज्यों के अनुरोध के बाद केंद्र सरकार ने शुक्रवार से अलग-अलग राज्यों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी है। इस तरह कई राज्यों के प्रवासी मजदूर ट्रेन के माध्यम से अपने घरों को जा सकेंगे, मगर इसके लिए उन्हें कुछ जरूरी जानकारी रखना जरूरी है।
लिस्ट में नाम होगा तभी कर पाएंगे यात्रा
इस ट्रेन में वैसे ही यात्री सफर कर पाएंगे, जिनका रजिस्ट्रेशन हुआ है। यानी प्रवासियों के लिए चलने वाली स्पेशल ट्रेन में सफर करने वाले लोगों की एक लिस्ट तैयार की जाएगी और इसी के अनुसार इसमें लोग सफर करेंगे। प्रवासी मजदूरों और स्टूडेंट्स आदि को अपने गृह राज्य में इसके लिए आवेदन करना होगा। राज्य सरकार संबंधित राज्य में नोडल अधिकारी नियुक्त करेगी और नोडल ऑफिसर जो सूची तैयार करेंगे, वही रेलवे को सौंपी जाएगी। रेलवे फिर उन सभी यात्रियों को सूचना देगा ताकि समय पर स्टेशन पर लोग पहुंच सके। जिनका लिस्ट में नाम होगा, उन्हें ही सफर करने दिया जाएगा।
जांच के बाद ही घर वापसी
ट्रेन में सफर करने से पहले प्रवासियों की स्क्रीनिंग की जाएगी, जिसका इंतजाम स्टेशन पर ही होगा। जब यात्री कोरोना की स्क्रीनिंग में सही पाया जाएगा तो उसे ट्रेन में बैठने दिया जाएगा। अगर जांच के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी पाई जाती है तो फिर यात्री को उसी वक्त अस्पताल भेज दिया जाएगा। यानी उसकी घर वापसी फिर क्वारंटाइन अवधि पूरा किए बैगर नहीं होगी।
यात्री को भोजन या टिकट खरीदने की जरूरत नहीं
यहां ध्यान देने वाली बात है कि स्पेशल ट्रेन में सफर करने वाले प्रवासी यात्रियों को टिकट लेने की जरूरत नहीं है। कोविड-19 महामारी के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण देशभर में जहां-तहां फंसे प्रवासी मजदूरों को ट्रेन से उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने का किराया रेलवे राज्य सरकारों से वसूलेगा। जिस ट्रेन से प्रवासी मजदूरों को भेजा जाएगा उसे श्रमिक स्पेशल नाम दिया गया है। इसमें सफर करने के किराए में स्लीपर क्लास के टिकट मूल्य, 30 रुपये का सुपरफास्ट शुल्क और 20 रुपये भोजन-पानी के शामिल होंगे। रेलवे ने स्पष्ट किया है कि यात्रियों को अपने पास से कुछ भी खरीदने की जरूरत नहीं, उनके खर्च का वहन राज्य सरकारें करेंगी। महीनेभर तक सेवाएं निलंबित रहने के बाद रेलवे ने पहली यात्री ट्रेन इन मजदूरों के लिए शुक्रवार को हैदराबाद से झारखंड के लिए सुबह साढ़े चार बजे रवाना की जिसमें कुल 12,00 लोग सवार थे। यानी प्रवासियों की के लिए खाना-पानी का स्टेशन पर ही होगा। इसके लिए उत्तरदाई राज्य सरकार होगी।
ट्रेन में सोशल डिस्टेंस और मास्क जरूरी
अगर आप भी प्रवासी मजदूर हैं और घर वापसी की उम्मीद में हैं तो आपको मास्क अपने साथ हमेशा रखना होगा। यानी बिना मुंह पर मास्क लगाए आप यात्रा नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा, आपको ट्रेन में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। यही वजह है कि रेलवे सीटों के अनुसार ही लोगों को ट्रेन में ले जाएगा।
रेलवे की यात्री सेवा 17 मई तक निलंबित
रेलवे ने शुक्रवार को ऐलान किया कि उसकी यात्री ट्रेन सेवा आगामी 17 मई तक पहले की तरह निलंबित रहेगी। हालांकि इस दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ विशेष ट्रेन चलाई जाएंगी।
टिकट खरीदकर नहीं कर सकेंगे यात्रा
रेलवे ने साफ किया है कि स्टेशन पर किसी भी व्यक्ति को टिकट नहीं बेचा जाएगा। इसलिए टिकट खरीदकर यात्रा करने की मंशा से लोगों को स्टेशन पर नहीं जाना चाहिए। केवल उन्हीं लोगों को यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी जिन्हें राज्य सरकार के अधिकारी लेकर आएंगे। राज्य सरकारें ही तय करेंगी कि ट्रेन में किन-किन लोगों को सफर करना है।
घर वापसी के बाद भी क्वारंटाइन
अगर आप ट्रेन में बैठ जाते हैं और सफर शुरू हो जाता है तो बात यहीं खत्म नहीं हो जाती। जब आप अपने गंतव्य स्टेशन पहुंच जाएंगे तो फिर वहां भी आपकी स्क्रीनिंग की जाएगी। अगर किसी तरह के लक्षण नहीं मिलते हैं तो यात्रियों को सीधा घर भेजा जाएगा, जहां उन्हें 14 दिन का क्वारंटाइन पूरा करना होगा। वहीं अगर किसी तरह की गड़बड़ी दिखी तो अस्पताल भेजा जाएगा। हालांकि, यह अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि प्रवासियों को स्कूल, या किसी अन्य जगहों पर रखा जाएगा या घर भेजा जाएगा।
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