कोरोना महामारी की मार झेल रहे लोगों की महंगाई से कमर टूट गई है। सबसे खराब हालत गरीब तबके के लोगों की है। काम बंद होने से इनकी आमदनी अमूमन चौथाई से भी कम रह गई है, जबकि महीने भर में होने वाला इनके घर का खर्च दो गुना से अधिक हो गया है। पहले करीब सात हजार रुपये में जिस घर का खर्च चलता था, अब वह करीब 14 से 15 हजार रुपया पहुंच गया है। नतीजतन, कड़ाही से तेल, बच्चों की बोतल से दूध और थाली में दाल-सब्जी कम हो गई है।
बच्चों को दे रहे केवल एक बार दूध
कालीबाड़ी जेजे कॉलोनी की मीनू सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी व महंगाई ने उनकी हालत खराब कर दी है। परिवार चलाने के लिए इन्होंने अपने रोजमर्रा के खर्चों में कटौती कर दी है। यहां तक कि दो छोटे बच्चों को भी दो वक्त के बजाय केवल एक वक्त दूध दे पा रही हैं। इनके पति आरएमएल में काम करते थे। पिछले साल सड़क दुर्घटना में वह घायल हो गए थे और तब से घर पर ही बैठै हैं।
मीनू सिलाई सेंटर चलाती हैं। लॉकडाउन से पहले इनके यहां करीब 20 लड़कियां सिलाई सीखती थीं, लेकिन कोरोना महामारी में उनका यह काम भी बंद हो गया। पहले पति-पत्नी दोनों मिलकर करीब 30 हजार रुपये कमाते थे। अब बमुश्किल सात से आठ हजार रुपये भी आमदनी मुश्किल हो गई है। इसका असर बच्चों की परवरिश पर पड़ा है। महंगाई के कारण अब उन्हें बच्चे पालने में मुश्किल हो रही है। तमाम कटौती के बावजूद महीने में उनका करीब 10-12 हजार रुपये से अधिक खर्च हो रहा है।
सात से 15 हजार पहुंच गया खर्च
पेशवा रोड जेजे कॉलोनी की प्रधान विमलेश ने बताया कि रिफाइंड तेल दोगुना कीमत पर मिल रहा है। दूध, चीनी, सरसों का तेल, गैस सिलिंडर की कीमत बढ़ गई है। लॉकडाउन से पहले उन्हें महीने में घर का खर्च चलाने के लिए करीब 6-7 हजार रुपये लगते थे, लेकिन इस समय 15 हजार रुपये खर्च करने पर भी घर का सारा सामान खरीदना उनके लिए संभव नहीं है।
उन्होंने बताया कि ऐसा लगता है कि थाली में सब्जी देखे कितना वक्त हो गया है। संकोच करते हुए उन्होंने कहा कि घर का खर्चा वह कैसे वहन कर रही हैं, केवल वही जानती हैं। लंबे समय से उनके दो बेटे और पति काम नहीं होने के कारण घर बैठे हैं। पैसे आ नहीं रहे हैं और घर का खर्चा दोगुना हो गया है। गैस सिलिंडर मंगवाने के लिए अब 10 बार सोचना पड़ेगा।