गौरव शुक्ला की रिपोर्ट
न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम,न इधर के हुए न उधर के हुए ऐसा ही कुछ हाल नवाबगंज का नगर पंचायत बनने के बाद हुआ है। अब न तो ग्राम पंचायत निधि से इसका विकास हो रहा है और न ही नगर विकास निधि से। कहने को तो नगर पंचायत हो गयी है, लेकिन वहाँ बैठे जिम्मेदार विकास के नाम पर आने वाले पैसे से अपनी जेबें भर रहे हैं।
नवाबगंज थाना क्षेत्र के कस्बा नवाबगंज स्थित बने नवनिर्मित नगर पंचायत में अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक सरकारी धन बटोरने में लगे हैं। विकास कार्य केवल कागजों तक ही सीमित हैं, हकीकत तो लोगों के मुँह से सुनी जा सकती है। जिसका जीता जागता उदाहरण नगर पंचायत क्षेत्र के थाने में खराब पड़ा हैण्डपम्प है। यह हैण्डपम्प लगभग एक साल से खराब है। इसको ना कोई सुधारने की कोशिश कर रहा है ना ही कोई इस ओर ध्यान दे रहा है। सरकारी पुलिस कर्मचारी पानी बाहर से खरीद कर पी रहे हैं। पूरे थाने में एक सबमर्सिबल पंप लगा है। जब बिजली आती है तो कर्मचारी पानी पी लेते हैं नहीं तो पुलिसकर्मियों को पानी खरीदकर पीना पड़ता है। वहीं फरियादी तो इधर उधर पानी की तलाश में घूमते हैं, लेकिन पानी उनको नहीं मिल पा रहा है।
ऐसी ही कुछ स्थिति विकास खंड कार्यालय पर भी है, जब विकासखंड कर्मचारियों से पानी ना होने की वजह पूछी जाती है तो वह कह देते हैं कि यह क्षेत्र अब नगर पंचायत का है इसलिए विकास खंड क्षेत्र से इसमें कोई भी सुविधा नहीं दी जा सकती है। वहां भी फरियादी तथा कर्मचारी पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जब इसके बारे में नगर पंचायत कार्यालय संपर्क किया गया तो अधिशासी अधिकारी का फोन स्विच ऑफ जा रहा था, जिससे अधिशासी अधिकारी से कोई भी बात नहीं हो सकी।
अब यह नगर पंचायत कब नरक से ऊपर उठकर लोगों को खुशी देगी इसका तो भगवान ही मालिक है। नगर पंचायत अध्यक्ष जब तक नहीं मिलता, तब तक तो यहाँ की स्थिति सुधरते नहीं दिखाई दे रही है।